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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १६७-दुर्गन्धनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस नामकर्मके उदयसे शरीरमें प्रतिनियत दुर्गन्धकी निष्पत्ति हो उसे दुर्गन्धनामकर्म कहते है।
प्रश्न १६८- वर्णनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस नामकर्मके उदयसे प्रतिनियत वर्णकी निष्पत्ति हो उसे वर्णनामकर्म कहते है।
प्रश्न १६९- कृष्णवर्णनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत कृष्णवर्णकी निष्पत्ति हो उसे कृष्णवर्णनामकर्म कहते है।
प्रश्न १७०-नीलवर्णनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत नील वर्णको निष्पत्ति हो उसे नीलवर्णनामकर्म कहते है।
प्रश्न १७१- रक्तवर्णनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत लाल वर्णकी निष्पत्ति हो उसे रक्तवर्णनामकर्म कहते है।
प्रश्न १७२-पीतवर्णनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत पीले वर्णकी निष्पत्ति हो उसे पीतवर्णनामकर्म कहते है।
प्रश्न १७३- श्वेतवर्णनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे प्रतिनियत श्वेत वर्णको निष्पत्ति हो उसे श्वेतवर्णनामकर्म कहते है।
प्रश्न १७४-- शरीर पुद्गल है और पुद्गलका स्वभाव ही रूपादिका है, फिर स्पर्शनामकर्मकी क्या आवश्यकता है?
उत्तर- यदि स्पर्शादि नामकर्म न हो तो यह व्यवस्था नहीं बनेगी कि भौरोमे भौरो जैसा प्रतिनियत रूप, रस, गधादिसे हो । घोडो, मनुष्यो आदिमे घोडो, मनुष्यो आदि जैसा रूप रसादि हो । यह व्यवस्था इन स्पर्शादि नामकर्मोके उदयसे होती है।
प्रिश्न १७५- आनुपूर्व्यनामकर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-- जिस कर्मके उदयसे विग्रहगतिमे पूर्व शरीरके आकार आत्मप्रदेश हो उसे 'आनुपूर्व्यनामकर्म कहते है।
प्रश्न १७६- विग्रहगति किसे कहते है ?