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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका ४ द्रव्योसे पृथक् प्रतीत नही हो पाता, अत. केवल प्रात्माके ध्यानका मार्ग बनानेके उद्देश्यसे रचित इस गन्यमे जीव अजीव शब्दका प्रयोग किया है।
प्रश्न ५-जीव अजीवमे जोवका पहिले नाम क्यो रक्खा ?
उत्तर-सव द्रव्योमे जीव ज्ञाता होनेसे प्रधान है तथा वक्ता श्रोता सभी जीव है। जीव को ही कल्याण करना है, अतः जीवका पहिले नाम रक्खा है।
प्रश्न ६-जीव और अजीवका लक्षण क्या है ?
उत्तर-जीव अजीवके सम्बधमे इसी ग्रन्थमें आगे विस्तारसे वर्णन होगा, अतः यहाँ न कहकर अन्य आवश्यक बातें कही जायेंगी।
प्रश्न ७-श्लोकमे व ग्रन्थनाममे "दव्वं" शब्द क्यो कहा गया, तच्च (तत्त्व) ग्रादि शब्द भी तो कहा जा सकता था ?
उत्तर-वस्तुको पदार्थ, अस्तिकाय, द्रव्य, तत्त्व-इन चार शब्दोंसे कहा जाता है। इनमे द्रव्यदृष्टिसे तो पदार्थ, क्षेत्रदृष्टिसे अस्तिकाय, कालदृष्टिसे द्रव्य, भावदृष्टिसे तत्त्व नाम पडता है । सो इस ग्रथमे कालकी (पर्याय) वहुलतासे वस्तुका वर्णन है, अतः द्रव्य शब्द कहा है।
प्रश्न -जिणवरवसहेण इतना वडा शब्द क्यो रक्खा, जव तीर्थकर जिन भी कहलाते हैं, सो मात्र जिन शब्दसे भी काम चल जाता?
उत्तर-जिणबरवसह (जिनवरवृपभ) शब्दका अर्थ है जो मिथ्यात्व वैरोको जीते सो जिन अर्थात् सम्यग्दृष्टि गृहस्थ व मुनि उन सबमे श्रेष्ठ गणधर व उनसे भी श्रेष्ठ तीर्थङ्कर । इन तीन शब्दोसे परम्परा भी सूचित कर दी गई है कि सिद्धान्तके मूलग्रन्थकर्ता तो तीर्थकर देव हैं अर्थात् इनकी दिव्यध्वनिके निमित्तसे सिद्धातका प्रवाह चला, उसके बाद उत्तरग्रन्यकर्ता गणधर देव हुए, फिर अन्य मुनिजन हुए, बादमे गृहस्थ पडितोने भी उसका प्रवाह बढाया।
प्रश्न -यहाँ "णिद्दिट्ट" शब्द ही क्यो दिया, रचित प्रादि क्यो नही दिया ?
उत्तर-किसी भी सत्का रचने वाला कोई नहीं है । जीव अजीव द्रव्य सभी स्वतत्रता से अपना अस्तित्व रखते है, तीर्थंकर परमदेवने तो पदार्थ जैसे अवस्थित है वैसा निर्देश मात्र किया (दर्शाया) है । इससे अकर्तृत्व सिद्ध हुआ।
प्रश्न १०-देविंदविंदवद इस विशेषणसे प्रभुकी निज महिमा तो कुछ भी नही हुई, फिर इस विशेषणसे क्या द्योतित किया ?
___ उत्तर-जिन्हे देवेन्द्रोका सर्वसमूह वंदन करता हो, उनमे उत्कृष्ट सच्चाई अवश्य है, सो इस विशेषणसे उत्कृष्ट सच्चाई सुव्यक्त की, तथा वदनाका प्रकरण है उसमे केवल यही बात नहीं है कि मै वदना करता है, किन्तु उन्हे तीन लोक वंदन करता है । कही मैं नया मार्ग नही कर रहा हू, यह घोतित होता है।
प्रश्न ११-वदन कितने प्रकारसे होता है ?