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। नियष्टि शलाका पुरुप-चरित्रः पर्व १. सर्ग है.
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को सुशोभित कर रहे हैं वह 'श्रीप्रभ' नामका विमान है। पुण्यसे आपको यह मिला है। ये सब सामानिक देवता हैं लो आपकी सभाके सिनगार जैसे हैं। इनके इस विमानमें आप एक होते हुए भी अनेक जैसे मालूम होते हैं। हे स्वामी! ये वेतीस पुरोहिन देवता है। ये मंत्रके स्थानाप हैं। ये यापकी श्राज्ञा पालनेको बार है । इनको समयोचिन अादेश दीजिए। ___ ये इस परिषदके नर्म-सचिव ( बिदृयक ) हैं । ये अानंदक्रीडा कराने के प्रधान हैं। ये लीला-बिलासकी बातोंमें आपके मनको प्रसन्न करेंगे। ___ये आपके शरीररक्षक देवता है। ये सदा कवच पहननेवाले, छत्तीस तरह के हथियारोस लस रहनेवाले और अपने स्वामीकी रक्षा करने में चतुर है।। ____ ये आपके नगरकी ( विमानकी ) रक्षा करनेवाले लोकपाल देवता है। - "ये सेनासंचालनमें चनुर सनापति है। ' "और ये पुरवासी और देशवासी प्रकीर्णक देवता हैं, जो आपकी प्रजाके समान हैं। ये आपकी निर्माल्यं (बिलकुल मामूली) यात्राको भी अपने मन्तकपर धारण करेंगे।
"ये श्रामियोग्य देवता हैं। अापकी वासकी तरह सेवा करेंगे। .. ये किनिधपक देवता हैं। ये सब तरहके मलिन काम
करेंगे।
"ये अापके महल हैं जो मुंदर रमणियोंसे रमणीक आँगनवान्ने, मनको प्रसन्न करनेवाले और रत्नास जड़े हुए हैं।