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५५८] ब्रिटिशालामा पुरुष चरित्रः पर्व २. मग ३.
लोपाल नामदेवता नहीं होतं । प्रत्येक इंद्र अपने चार हजार मानानि देवों और लोलह हजार श्रामगड देवोंके माय, प्राभियोगिक देवताओं द्वारा बनाया विमानों में बैठकर मन्तवनगर प्रभु नाम श्राप (१-३-212)
उसी नन्द इनिग अंगी और उदरणी में रहनेवाले प्रणालिकादिक वालव्यागेकी पाट पाठ निकायों मोलह छन मी, विशावादिकं इंडोत्री नन्ह, श्रासनों अपनेल, अवविहान द्वारा मानना जन्म जाना। उन्दीन अपने अपने सेनानियॉन मंजुबरारमयोप नाम बजवाड, और (प्रभु इन्नी ) बोपन करवाई। फिर वे श्राभियोगिक देवनाराज द्वारा बना हम बिनानीने, ने अपने व्यंदरों और पूवंचन परियारसदिन, काभग पर्वतपर अनुचे पान भाय। (११२-१५)
अन्य चंद्र और मज भी अपने अपने परिवारांच माथपुत्र जैन पिना पास जान हैं वैस, प्रभु या! भार । समी स्वतंत्र मलिक कारणा परतंकी नरह, अनुबन्ना. सब मनानक नियनकातर श्राप । (११६-25)
इंद्रोशा नात्रोत्सूत्र करना अब ग्यारहवें और बारहवें देवलो अच्युत नामक ने नात्र ऋग्लायन (लांनी अभियोगिक देवताओंकी श्राहादी। उन्दन यान विधानमा छ प्रचारका वक्रिय मानकर,माननादानांनानादिलोन-गानोंक चांदीमत्तान, मोना-चांदी वल्ली, और मिट्टी प्रत्यक