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श्रीमदहते नमः श्री चिपष्ट्रि शलाका पुरूष्क चरित्र
पर्व दूसरा श्री अजितनाथ-चरित्र
जयंत्यजितनाथस्य, जितगोणमणिश्रियः ।
नरेंद्रवदनादर्शाः पादपद्मद्वयीनखाः ॥१॥ [लाल मणियोंकी शोभाको जीननेवाले और नमस्कार करते हुए इंद्रोंके मुखोंके लिए दर्पणके समान श्री अजितनाथके दोनों चरण-कमलोंके नखोंकी (सदा) जय होती है।]
कर्माहिपाशनिर्नाश-जांगुलिमंत्रसन्निमम् ।
अजितस्यामिदेवस्य चरितं प्रस्तवीम्यतः ॥२||
[अव (यानी ऋषभदेवस्वामीका चरित्र लिखनेके बाद ) में (हेमचंद्राचार्य) कर्मरूपी पाशका नाश करने में जांगुलीमंत्रक समान भगवान अनितनाथस्वामीके चरित्रका वर्णन करता है।]