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भ० ऋपभनाथका वृत्तांत
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चक्रीका मोक्षगमन-ये बातें, जो क्रमशः वर्णन की गई है, तुम्हारे सभी पदों ( उत्सवों) का विस्तार करें। (अर्थात तुम्हारे लिए सदा कल्याणकारी हों।) ['आचार्य श्री हेमचंद्राचार्य विरचित 'त्रिपष्टिशलाका पुरुष चरित्र' नामक महाकाव्यके प्रथम पर्व में, मरीचिभव, भावी शलाका पुरुप भगवनिर्वाण-वर्णन नामका, छठा सर्ग समाप्त हुआ।