________________
४६६ ] त्रिपष्टि शलाका पुरुप-चरित्रः पर्व १. सर्ग ६.
दीक्षापर्याय तेईस हजार साढ़े सात सौ बरसकी होगी। शांतिनाथ और कुंथुनाथके निर्वाणकालका अन्तर श्राधे पल्योपमका होगा । (३१०-३११)
१८-उसी गजपुरमें सुदर्शन राजा और देवी रानीके अर नामक पुत्र अठारहवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति सुवर्णके समान, आयु चौरासी हजार बरसकी, काया तीस धनुपकी और व्रतपर्याय इक्कीस हजार बरसकी होगी। कुंथुनाथ और अरनाथके निर्वाणकालमें एक हजार करोड़ वर्ष कम पल्योपमके चौथे भागका अन्तर होगा। (३१२-३१३)
१६-मिथिला नगरी में कुंभ राजा और प्रभावती देवीके मल्लीनाथ नामकी पुत्री उन्नीसवीं तीर्थकर होंगी । उनकी कांति नीलवर्णकी, श्रायु पचानवे हजार बरसकी, काया पञ्चीस धनुषकी और व्रतपर्याय बीस हजार नौ सौ बरसकी होगी। अरनाथ और मल्लीनाथके निर्वाणकालका अंतर एक हजार कोटि वरस. का होगा । (३१४-३१५) __२०-राजगृह नगरमें सुमित्र राजा और पद्मादेवीके सुव्रत नामक बीसवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति कृष्णवणकी, आयु तीस हजार वरसकी, काया वीस धनुपकी और दीक्षापयोय साढ़े सात हजार बरसकी होगी। मल्लीनाथ और सुव्रतनाथके निर्वाणकालका अंतर चौवनलाख बरसका होगा । (३१६-३१७)
२१-मिथिला नगरीमें विजय राजा और वप्रादेवी रानीके नमि नामक पुत्र इकोसवें तीर्थकर होंगे। उनकी कांतिसुवर्णके समान, आयु दस हजार बरस, काया पंद्रह धनुष और