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भ० ऋषभनाथका वृत्तांत
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प्रतपर्याय ढाई हजार बरस होगी। मुनिसुव्रत स्वामी और नमिनाथके निर्वाणकालका अंतर छःलाख वर्ष होगा।
(३१८-३१६) २२-शौर्यपुरमें समुद्रविजय राजा और शिवादेवी रानीके नेमि नामक पुत्र बाईसवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति श्यामवर्णकी, श्रायु हजार बरसकी, काया दस धनुषकी और दीक्षापर्याय सात सौ वरसकी होगी। नमिनाथ और नेमिनाथके निर्वाणकालका अंतर पाँच लाख बरसका होगा। (३२०-३२१)
२३-वाराणसी ( काशी) नगरीमें अश्वसेन राजा और यामादेवी रानीके पार्श्वनाथ नामक पुत्र तेईसवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति नीलवर्णकी, आयु सौ बरसकी, काया नौ हाथकी
और व्रतपर्याय सत्तर बरसकी होगी। नेमिनाथ और पार्श्वनाथके निर्वाणकालका अंतर तिरासी हजार साढे सात सौ बरसका होगा । ( ३२२-३२३) २४-क्षत्रियकुंड गाँवमें सिद्धार्थ राजा और त्रिशलादेवी रानीके पुत्र वर्द्धमान अपर नाम महावीर नामक चौवीसवें तीर्थंकर होंगे। उनकी कांति सुवर्णके जैसी, आयु वहत्तर बरसकी, काया सात हाथकी और व्रतपर्याय बयालीस वरसकी होगी। पार्श्वनाथ और महावीर स्वामीके निर्वाणकालका अंतर ढाईसौ बरस का होगा । (३२४-३२५)
चक्रवर्ती चक्रवर्ती सभी कश्यप गोत्रके होंगे। उनकी कांति सोनेके समान होगी। उनमेंसे आठ मोक्षमें जाएँगे, दो स्वर्गमें जाएंगे