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३] त्रिषष्टि शलाका पुन्प-चरित्रः पर्व १. सर्ग ५. ..
का बड़ा पुत्र सोमयशा अकेलाही, सारी सेनाको दशों दिशाओंमें उड़ा देने में इस तरह समर्थ है जैसे हवा रुईको उड़ा देनमें समर्थ होती है। इसका कनिष्ट (छोटा) भाई सिंहस्य उम्रमें छोटा है मगर पराक्रममें अकनिष्ठ (श्रेष्ट) है। वह शत्रुओंकी. सेनामें दावानलके समान है। अधिक क्या कहा जाए उसके दूसरे पुत्रों और पौत्रोमेका हरेक एक एक अक्षौहिणी सेनामें मल्लके समान और यमराज दिलने भी भय पैदा करनेवाला है 1 उसके स्वामीभक्त नामंत मानों उसके प्रतिबिंब हों ऐसे बलमें उसकी समानता करनेवाले हैं। इसकी सेनाओं में से एक अग्रणी महाबलवान होता है मगर उसकी सेनामें समी महाबलवान हैं। लडाईमें महाबाहु बाढवला तो दूर रहा उसका एक सेनान्यूह भी अभेद्य होता है। इसलिए वर्षा ऋतुके मेयके साथ जैसे पूर्व दिशाकी हवा चलती है पद्दी युद्ध के लिए जाते हुए मुपेणके साथ तुम भी जानी।" (३०५-३१७) ।
अपने स्वामीकी अमृत समान बातों, मानों भर गए हॉ एल उनके शरीर पुलकावनीसे व्याप्त हो गए; अर्थात उन सबकेशरीर रोमांचित हो पाए। महाराजाने उनको विदा किया। वे सभी इस तरह अपने अपने हरोपर गए मानों के विरोधी वीरोंची जयलचनीको जीतने के लिए स्वयंवर-मंडप में जा रहे हो। दोनों ऋषमपुत्रोंक कृयाके ऋणल्पी समुद्रको तैरनेकी, यानी कृयाका जो ऋश है उसको त्रुानकी, इच्छा रखनेवाले दोनों तर वीर टयुद्धने लिए तैयार हुए अपने पारण, धनुष, मात्रा, गदा और शक्ति वगैरा आयुधोंको देवताओंकी तरह पूजन लगे । साहले नाचते हुए अपने चित्त के साथ मान्न