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१ } त्रिषष्टि शलाका युध-चरित्र पर्व १ वर्ग १.
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आरई है। (केट में पेंगने जब भारी भारी बेड़ियाँ होती है, तब छद्र ने नहीं चल सकता है। हरमच रस्तपर पानी फैल रहा था, वह पेना गान पड़ना या भानों किसी देवन मुनाप्निों
रस्ता रोमन लिए अपने हाय कैलाप है। गाड़ियाँ क्रांबडमें सनई थी, गेमा मादल बीता था कि नुहन गाड़ियों द्वारा नीनी छानी गई जाती थी, इसलिए उसने नागन कर गाड़ियांनो पकड़ लिया था। टायर नहीं इसलिए मवान नीचे उतर, त्र गर्ने कल्ली हान्न उनन्त्रींचना गुन क्रियानगर पैनी नजोरी और चली अपिता)
ऋण वे गिर गिर पड़ने लगे ! (६-24) . . बारिश व अन्न नाट्टरनं चलना बहुनु ऋठिन हो गया था, इसलिए बनसंठन (चा की देखकर उस पर) नंाँव और उनी व बंगलमें रहना स्थिर दिया। दूसरे लोगोंन मीड़ियों या नंबू बाँध लिए (और आगन्ने वर्शन जिनान बग) टीन्द्रीच्छा है
"नहि सीदति इत्रता देशकालोत्रितां नियाम् ।। - बोइंग और चलने देवर काम करता है वह हुन्नी नहीं होना 1] (१०-११)
के मित्र मणिमनन गइदिदी यायय बताया। वह नीव-जंतु रहिन बनीन पर था, इलिए बुरिना अपन मात्रुओं नदिन उसने रहने लगे।
साथ लोग ऋवित्र और अद्भुत दिनों तक रहना पड़ा था, इसलिए उनके पास दो पात्र और कान मनात हो