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श्री त्रिषष्टि शलाका
पुरुष-चरित्र .. पर्व १ ला-सर्गः १ ला.
श्री आदिनाथ चरित्र ... श्रीमदहते नमः
. चौबीस तीर्थंकर-स्तुति श्लोक : सकलाहत्प्रतिष्ठानमधिष्ठानं शिवश्रियः ।
. भूर्भुवःस्वस्त्रयीशान-मार्हन्त्यं प्रणिदध्महे ॥१क्षा जो सबके लिए पूजाके स्थान रूप हैं--पूज्य हैं, जो मोक्ष-लक्ष्मीके निवास रूप हैं, जो पाताल, पृथ्वी और स्वर्गके ईश्वर हैं (तीन लोकके स्वामी हैं) उन अहेतोंके समूहका हम ध्यान करते हैं। ... नामाकृतिद्रव्यभावैः, पुनतस्त्रिजगज्जनम् ।
क्षेत्रे काले च सर्वस्मि-नर्हतः समुपास्महे ॥२॥ [जो सभी क्षेत्रों में, भूत, भविप्य और वर्तमान तीनों कालोंमें, नामनिक्षेप, स्थापनानिक्षेप, द्रव्यनिक्षेप और भावनिक्षेप-इन चार निक्षेपोंसे तीन लोकके लोगोंको पवित्र करते हैं उन अहंतोंकी हम सेवा करते हैं।]