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१२४] त्रिषष्टि गन्नाचा पुन्य चरित्रः पर्व १. सन २.
बनुन ते है ! ३-नुयांग नानल्या तीन नाइले बाने देते हैं। ?-दीपशिन्ता और ज्योतिविका नाममा अत्यंत प्रकाश देने है। ई-चित्रांग नानक कल्य विचित्र नरहने लॉत्री मानापन है। -विस नाना रसोइयोंकी नन्द्र अनेत्र नरहने भोजन देन है। -नयंग नाम उल्लङ्ग इच्छित आभूषण (उबर) देद है। :गेहाकार मच गंवत्रनगरकी नङ्गशभरमें अच्छे घर देने है! और ?:-अनन्न लन ननवाई ऋडे ते हैंइनमें
अनेक नाकी ननवाही की भी है। (१२२-१२६)
उनमय बनीन शकर भी बहुत अधिक स्वादिष्ट (झायनर होती है। नदी वनपालन जैसाठः होता है। मान्ने नमः वीरवार शायनाति और मडों का प्रभाव कम न होना जाता है। (१७-१८)
सो पाने मनुष्य के योनी श्राशुत्राने दो ॐ शगवाले, और तीन दिन मोचन ऋग्ने बान है। समय लव कुछ समाधान वा कत्रावाली और बलपीछ करना होता है। इसने भी पहले करेली ददरेवानजी नलीनी जानी है दिल तथा हयात्री बने कानं हो जाती है। (१२०-१३१)
तीनो ने मनुष्य काल्योम तक जीनवाने एक ओ ॐ शरीरले और दूसरे दिन भोजन ऋग्नवान होते हैं। इस बार भी पहले की लग्छ, गर्गर, अयुनीनी