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___१०२ ] त्रिषष्टि शलाका पुरुष-चरित्रः पर्व १. सर्ग १.
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८. गुरुत्व शक्ति-इंद्रादिक देव भी जिसे नहीं सह सकतें ऐसा, बन्नसे भी भारी शरीर करनेकी शक्ति।
९. प्राप्ति शक्ति -पृथ्वीपर रहते हुए भी पड़के पत्ताकी तरह मेरु के अग्रभागको और अहादिकको स्पर्श करनेकी शक्ति ।
१०, प्राकाम्य शक्ति जमीनकी तरह पानी में चलनेकी और जलकी तरह जमीनपर भी उन्मजन निमनन करने (नहाने, धोने, डुबकी लगाने की शक्ति।
११. ईशत्व शक्ति-चक्रवर्ती और इंद्रकी ऋद्धिका विस्तार करनेकी शक्ति।
१२. वशित्व शक्ति-स्वतंत्र, ऋरसे क्रूर प्राणियोंको भी वश करनेकी शक्ति।
१३. अप्रतियाती शक्ति-छिद्रकी तरह पर्वतके बीचमेंस भी बेरोक निकल जानेकी शक्ति ।
१४, अप्रतिहत अंतान शक्ति-पवनकी तरह सब जगह अश्यरूप धारण करनेकी शक्ति।
१५. कामरूपत्र शक्ति एकट्टी समयमें अनेक प्रकारके रूपांस लोकको पूर्ण कर देने की शक्ति।
१-मंध्या में १५ की शक्तियाँ वैलियलब्धि श्राबाती हैं। यानी क्रियान्विवालमें यं गलियाँ होती है। इन्हें मिदियाँ भी कहते हैं।