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दसवाँ भव-धनसेठ
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१६. बीजबुद्धि - एक अर्थरूपी वीजसे अनेक अथरूपी चीजोंको जान सके ऐसी शक्ति। (अर्थात-जैसे किसान अच्छी जोती हुई जमीनमें वीज बोता है और उससे अनेक बीज होते है, इसी तरह ज्ञानावरणादि कमों के क्षयोपशमकी अधिकतासे एक अर्थरूपी वीजको जानने-सुननेसे अनेक अर्थरूपी वीजोंको जानता है, उसे बीजवुद्धि लब्धि कहते हैं।
१७. कोष्टबुद्धि-इससे कोठेमें रखे हुए धान्यकी तरह पहले सुने हुए अर्थ, स्मरण किए बगैर भी यथास्थित रहते हैं।
१८. पदानुसारिणी लब्धि-इससे श्रादि, अंत या मध्यका एक पद सुननेसे सारे ग्रंथका बोध हो जाता है। (किसी सूत्रका एक पद सुननेसे अनेक श्रुतोंमें जो प्रवृत्त होता है उसे भी पदानुसारिणी लब्धि कहते हैं।)
१९. मनोवली लब्धि-इससे एफ. वस्तुका उतार फरके यानी एक बातको जानकर अंतर्मुहुर्तमें सारे श्रुतसगुद्रका अवगाहन किया जा सकता है।
१-मफे तीन भेद हैं। (6) नुतपदानुमारिस पहला पद या 34 मुगार गारमिनारनामे प्रान होती है गानों सारे गा माला । (क) Ffitwareignारणीस पद मुनका सुरTER
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