________________ जेहे निरंतर जीभ वावरी, ते मौन करी रहिया टावरी // 35 जे करता नगर नी करणवार, ते बइसी रहिया तलार // 36 जेहे मनि ऊपजइ प्रमोढ. ते एकू न दीसइ विनोद // 37 जे उलगई अाव्या राय, ते सवे दीसइ विच्छाय // 38 जे सभा बहसता राणा, ते सवे मनि उल्हाणा // 36 जे राज धुरधर प्रधान, ते दीसइ दुख तणा निघान // 40 ते तिहा बइठा छइ सेठि, ते जोइवा लागा नीची ट्रेठि / / 41 जे भला भंडारी, तेहनी मुख छाया ( पत्र 2 क ) अधारी // 42 जे राय नइ अगरक्त, ते थिया कुमक्ख // 43 अाकाश छतई सूरि, भेदीवा लागउ दुःखाधकार तणइ पूरि / / 44 तउ अनाथ तणु नाथ, जोयइ जगन्नाथ // 45 जान तणी द्रिटिइं देखइ रान भवनि सपूर्ण दुखोटवि तणी सृष्टि / / 46 सारे! या शाति करता जठिउ वेतात // 37 पडिउं माहरउं साह{ तताप तणउँ जाल तु नगन्नाथि प्रागुलि तणइ स्तदि करी माता तणी असमाधि हरी // 48 गि अनल्प, दु.व तणउ सकल्प // 46 फीटी मन तणी प्राधि, ऊपनी समाधि // 50 वालिवा ला [ गा] मागलिक तणा मृदग राज भवन भाहि सपूर्ण प्राणंद // 51 ( मुनि निन विजयजी सग्रह, भारतीय विद्याभवन, बम्बई )