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( २७० )
काचो ताग; पाणी नो साग दीवा' नो तेज, दुर्जन नो हेन
उधारा नो व्यापार; राड नो सिणगार
पखैया नो प्यार, एता किसी काम का नहीं । ( कौ० ) +
( १०१ ) द्विगुणित निकृष्ट ( १ )
चरसइ मेघ नइ राति ग्रधारी । कउही रात्र नह माहि कंसारी । यवनी रोटी नह कागद्द बोटी । ग्राह काली अनह मसी लाई । डाकिणी नहं राउल वाई । उखरडी खाट नइ डाभि वणी | सासू जुड़ी नइ नणंद घणी । पालि चीखल नइ कड़ि कीकली ।
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चडपण नइ फोफल घूंट । अतिसार नइ श्रासणि ऊंट ।
दुख नह डाकिणी खाधउ । वानर नइ वीछो खाधउ । श्रागण कुउ नइ कुटुंब श्राधलू |......|
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साप नइ पखालउ, काढव नइ कंटालउ । काणी नहरीसाली, बाडी नइ विदा बोली । सरड़ी नइ श्लेष्मली ।
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(१०२) द्विगुणित निकृष्ट
एक विदेश गमनं श्रन्यत्तत्रापि दारिद्र्य ।
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एक सेवा वृत्ति दुष्करा अन्य तत्रापि पिशुन समागमः ।
३ दिवाली ।
+ एक अन्य प्रति में निम्नाकिन पाठ और अधिक मिलता है । दहीनो पडगनो; सुपडानो ऊटिगणो ढीकुत्रानो पायो, पढपण नो जायो पागलानो धायो, गहिलानो गायो कागल नो कटायो,
कारटानो भाग, वैश्यानो राग
पर त्रियाप्यार, खड़ी नो सिंगार
ऐदवा अधूरानो सगत कीजै, धर्म विना एतलावाना सोभै नहीं ||
( स० २ )
(सं० उ )