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सभा श्रृंगार का साहित्यिक सौंदर्य
वर्णकसाहित्य में विभिन्न वस्तुओं के वर्णन का संग्रह होता है। इसी प्रकार का एक संग्रह 'सभा शृगार' है जिसे 'वर्णन संग्रह' भी कहा गया है । यद्यपि डा० साडेसरा ने भी अपने ग्रंथ में सभा श्रृंगार का समावेश किया है। पर वह वर्णन एक ही संग्रह का है और अधूरा है जिसका त्रुटित अंश उन्होने बाद में प्रकाशित किया है। वह श्राकार में भी छोटा है। प्रस्तुत 'सभा शृगार' को श्री अगरचंद जी नाहटा ने अलग अलग ५ 'सभा शृंगार' के वर्णनों की कई प्रतियों के आधार पर संकलित किया है। इन पॉचों का तथा विभिन्न प्रतियों का परिचय ग्रंथ के अंत में दे दिया गया है।3 डा० साडेसरा ने 'वर्णक समुच्चय' (भाग १) नामक ग्रंथ में जो वर्णक संग्रह दिया है वह महत्वपूर्ण है पर नाहटा जी के 'सभा शृंगार' की विशेषता यह है कि उन्होंने सभा शृगार के पाँचों संग्रहों को ज्यों का त्यों नहीं छापा है बल्कि उन्होंने समान विषयों को अलग अलग करके एक जगह प्रकाशित किया है। साथ ही डा० साडेसरा द्वारा प्रकाशित 'समा शृंगार के अंश को उन्होने छोड़ दिया है।
'सभा शृंगार' निम्नलिखित १० विभागों में विभाजित है१. देश, नगर, वन, पशु-पक्षी, जलाशय २. राजा, राजपरिवार, राजसभा, सेना, युद्ध । ३. स्त्री-पुरुष वर्णन , ४. प्रकृति वर्णन [ प्रभात, संध्या, ऋतु श्रादि ] ५. फलाएँ और विद्याएँ
१. डा० भोगीलाल ज. सांडेसरा, वर्णक समुच्चय, भाग १, पृ० १०५-१५६
२. डा० भोगीलाल ज. सांडेसरा, वर्णक समुच्चय, भाग २, पृ० १२०-१२३
३. श्री अगरचंद नाहटा-सभा शृंगार, परिशिष्ट २, पृ० १-४