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ऊगियउ प्राथमिउ कार्य न बाणदः । श्रश्रान्त तोल ममागह। पंच प्रकार विपय सुख माणइ । इसउ धनान्य सुखिउ तेठि॥
( २३ ) श्रेष्ठि पुत्र तुजन, सरल प्रकृति, दाक्षिण्यशील, प्रीचित्य गुग्गो पेत कृतम, नोतिपक्ष, सदाचार, उपकार निरत, दातार शिरोमणि, वजन, वच्छल, नगर मुख, रानमान्य प्रसिद्धि पात्रु , इसउ श्रेष्ठि पुत्र ।
(२४) श्रष्ठि प्रवहण यात्रा समुद्र अगाध मध्य, गुहिर गंभीर, प्रसप्राप्त तीर । तीहि समुद्र नइ तीरि, वावन्नउ बोहित्य नागरिउ ! आउला सूचिया, देशातरोचितक्रियाणा भरियां । का खभ ऊभविउ, 'नीजामा सज हुश्रा । ग भेला लोक भाडिउ, इधन पाणी पक्कान संग्रहिया । खाडिया पीसिया संवलु", सिढ़ ताडिउ । बलि बाकुलि किया, दिकपाल पूजिया । नाटक पेखणा कराविया, स्वजन लोक मोक्लाविउ । भले शकुने भले मुहत्ते, भले दिवसि, 'हूते प्रवहणि 'श्रेष्टि चडिउ ।
(पु० अ०)
( २५ ) निर्द्धन वर्णन (-१)
उंचउ तउ एरंड, खाटडेउ त3 हीनाग । घणुं बोलइ तउ लाफु, न बोलइ तउमोगु । घणु जीमह तउ भूखउ । उचा वस्त्र पहिरइ तउ ईतर, सामान्य वस्त्र पहिरइ तउ सुखीउ ।
वि० पु० प्र० में प्रथम पंक्ति नही । १ समुद्र तणइ, तीथि वापन्न - नीजाव सचिया ३ कमारउ ४ माडियउ ५. सावल, सिङ ६ प्रेक्षणक ७. शुभ ८. वर्त्तमानि हूते ६. पुत्र चडियउ ।