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________________ ध्येय के साथ ध्याता और ध्यान की एकता ४५६ नेमिनाथस्वामी के प्रति कराई है, वह बहुत ही सुन्दर ढग से प्रस्तुत की गई है। खासतौर से श्रीरानीमती के ताने और उपालम्भो ने उस अद्भुतता मे और वृद्धि कर दी है। राजीमती कहती है-'हे स्वामिन् । पिछले आठमवो मैं मे आपकी प्राणवल्लभा थी, आप मेरे प्रियतम थे, मेरी आत्मा के एकमात्र आरामस्थल आप थे । आपने मुझे अपनी प्राणप्यारी समझ कर मेरे मन के तमाम मनोरथ पूर्ण किये। अव इस भव मे आप क्या कर रहे हैं ? मैंने तो जब से आपके साथ मेरा व ग दान हुआ, तभी से आपको अपने आत्माराम समझ लिये हैं। परन्तु गजव की बात है कि आपने मेरे हृदय को न पहिचान कर, मेरी प्रीति को तोड कर मुझे अधवीव मे छटका कर, निष्ठुरतापूर्वक ठुकरा कर मुक्तिरूपी शिवसुन्दरी के साथ विवाह करने चल पडे । मैं तो आपकी प्रतीक्षा मे यहाँ बैठी हूं और आप हैं, जो मेरी पुकार को अनसुनी करके मुक्ति पुन्दरी से सगाई सम्बन्ध जोडने जा रहे हैं, । क्या आपका यह कदम उचित है ? उपयोग की दृष्टि से सोचें तो मेरे साथ आठ-आठ जन्मो का पुराना सम्बन्ध था, उसे छोड कर मुक्तिसुन्दरी के साथ नया सम्बन्ध जोडने मे आपको क्या लाभ होगा ? सगाई सम्बन्ध समानशील वाले के साथ अच्छा होता है। मेरे सरीखी राजकुमारी के साथ सम्बन्ध तो समानता का सम्बन्ध है, लेकिन मुक्तिसुन्दरी के साथ आपकी कौन-सी समानता है ? फिर उसके साथ तो आपकी कोई जान-पहिचान भी नहीं है | मेरे साथ तो इस जन्म की नही, पिछले ८ जन्मो की जानपहिचान है। भला मुझ जानी-मानी और सब तरह से चाहती आपकी प्रिय चरणसेविका को छोड कर आप बिना कुछ सोचे-विवारे, अजातशीला मुक्तिसुन्दरी के साथ सम्बन्ध जोडने जाएं, यह तो अनुचित है । इससे आपका कोई भी प्रयोजन नहीं सिद्ध होगा । अत मेरी ओर देख कर मेरे साथ के सम्बन्धो को याद करिये, और अजानी मुक्तिसुन्दरी के साथ सम्बन्ध जोडने का विचार छोडिये । अगली गाथाओ मे फिर वह प्रार्थना करती है घर आवो हो, वालम ! घर आवो, माी आशाना विशराम ॥ रथ फेरो हो, साजन ! रथ फेरो, मारा मनरा मनोरथ साथ ॥ म०२॥ हे वल्लभ, प्रियतम ! आप मेरे (पिता का घर मेरा घर मेरा घर है, इसलिए)
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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