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________________ वीतराग परमात्मा के चरण-उपासक ४७३ अर्थ है ? क्या यह कोई व्यक्रिविशेष है या गुणवाचक सज्ञा है ? जिनेश्वर मे सभी दर्शनो का समावेश क्यो किया जाय ? उनकी ऐसी क्या विशेषता है, जिससे उनके द्वारा प्ररूपित दर्शन को उत्तमाग माना जाय ? ये और ऐसे अनेक प्रश्न उठते हैं। इससे पूर्वगाथाओ के विवेचन मे हम जिनवर की चरण-उपासना के सन्दर्भ मे भलीभांति विवेचन कर आए हैं कि जिनवर की च ण-उपासना के लिए कितनी उदारता, परमतसहिष्णुता, विचारकता, समता और व्यापक समन्वयदृष्टि होनी चाहिए। जिनवर कोई एक व्यक्तिविशेष नही है, वह एक गुणवाचक सज्ञा है। जो सर्वोच्च उदार, निरपेक्ष, नि स्पृह, सत्यग्राही है रागद्वेषरहित होकर सवको अपने मे समाने की और महाकारुणिक बन कर जगत् के सामने वस्तुतत्त्व को प्रकाशित करने की व्यापक दृष्टि है, वही जिनवर , हो सकते हैं। चाहे उनका नाम कोई भी हो। जनदर्शन को मानने की बात का समाधान पहले हो चुका है। पूर्वोक्त गाथाओ मे जिनवर के ६ दर्शनो का समावेश किया गया है, उसके अलावा विश्व मे और भी अनेक दर्शन हैं, विभिन्न विचारधाराएं हैं, मत-मतान्तर हैं, उन सबका समावेश जिनवर (सर्वदशनयुक्त वीतरागदर्शन) मे हो सकता है। जैसे अनेक गड्ढो, टीलो, घाटियो आदि को पार करती हुई अनेक नदियाँ समुद्र में मिल जाती हैं, परन्तु किसी नदी मे समुद्र कदाचित् ही मिलता है, प्राय नहीं मिलता। जव समुद्र मे ज्वार आता है, तब नदी के मुख मे थोडेबहत अशो मे सागर दिखाई देता है। उसी प्रकार जैनदर्शनरूपी समृद्र इतना विशाल है कि उसमें समस्त दाशनिक विचारधाराएव दृष्टियां समा जाती है, वह अपनी अनेकान्तदृष्टिरूपी राजहसी चोच से समस्त दर्शनो को विभिन्न नयो, प्रमाणो और हेतुओ-युक्तिओ से यथायोग्य स्थान पर स्थापित कर देता है। परन्तु अन्यदर्शन नदी के समान हैं। जनदर्शन मे किसी न किसी एक नय या प्रमाण से सभी दर्शनो का समावेश हो जाता है, जबकि अन्यदर्शनो मे किसी-किसी स्थल. पर जैनदर्शन का एकाध अश दिखाई देता है, वशर्ते कि अनेकान्तदृष्टि से देखा जाय यदि एकान्तदृष्टि से देखा जाय तो अन्य दर्शनों मे जनदर्शन का अश भी नहीं दिखाई देता। इसका कारण यह है कि
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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