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________________ ४६० अध्यात्म-दर्शन मे बनन्तवीर्य माना है, परन्तु मुक्त-मोक्षप्राप्त आत्मा क मी उस वीर्य का प्र. रण - प्रयोग नहीं करते । सान्यदर्शनोक्त पुरुष [मात्मा] भी अवता, निष्क्रिय और नि सग माना गया है, वही भी बीयप्रस्फुरण करके कुछ करना-धला नहीं है, इसलिए अन्ततोगता निश्चयदृष्टि से दोनो दर्शन एक ही लक्ष्य पर पहुंच जाते हैं। ___योगदर्शन के प्रतिपादक प्रवर्तक मर्पि पतजलि हैं। ये भी कपिलमुनि के समकालीन माने जाते हैं । योगदर्शन में भी साख्यदर्शन-प्रतिपादित २५ तत्त्व माने जाते हैं, और २६ वां ईश्वरतत्त्व अधिक माना जाता है। इसके अतिरिक्त योगदर्शन न्यायदर्शन दोनो ने तत्त्व माने हैं-पचमहाभूत, कात, दिशा आत्मा और मन । आत्मा को आठवां वत्त्व माना है । तथाचित्तवृत्ति का सम्पूर्ण निरोध करने मे क्लेश-कर्मरहित नात्मा मुक्ति को प्राप्त करती है। चित्तवृत्ति को जान रा रोकने से मोक्ष होता है, ईश्वर कर्ता है, आत्मा कार्य का कारण है। चित्तवृत्ति के निरोध के लिए यम, नियम, आसन, प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये आठ अग हैं, जिनका सम्बन्ध हठयोग, जपयोग और राजयोग आदि से है। सांख्य और योग दोनो ही दर्शन आत्मा का अस्तित्व पृथक्-पृयक् मानते है । दोनो ही आत्मा को अकर्ता, द्रष्टा, साक्षी और असग मानते हैं। पतजलिमुनिप्रणीत योगदर्शन का मुख्य अन्य योगदर्शन [योगसूत्र] है। उसमे आत्मा, आत्मा का आध्यात्मिक विकास, उसका क्रम, उसके यम-नियमादि उपाय, आत्मा की विभूतियां-कैवल्य और मोक्ष आदि बातो का स्ववस्थितरूप से विवरण आता है। परन्तु वह कहाँ अपूर्ण है ? उसकी अपेक्षा विशेष क्या-क्या सम्मव है ? अयवा वर्तमान में है ? इस विषय में उपाध्याय यशोविजयजी ने योग-दर्शन के कई सूत्रो पर अपनी टिप्पणी लिख कर तथा द्वात्रिंशत्-द्वात्रिंशिकाओ में से कुछ मे अध्यात्म-योग पर विवेचन लिख कर जैन-दर्शन के साथ योगदर्शन की तुलना की है। यही नहीं, समदर्शी आचार्य हरिभद्रसूरि ने पतंजलि ऋपि को आध्यात्मिक विषय के ऐमे व्यवस्थित शास्त्र की रचना की योग्यता के कारण तथा तीर्थकरदेवो के अनेक तत्त्वो के बहुत-से अशो पर निरूपण करने के कारण एव मोक्षामिलापी होने पर ही ऐसे आध्या
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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