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________________ परमात्मपथ का दर्शन करते है। उनका कहना है कि नशे की धुन मे भगवान् मे सूरत लग जायगी, व्यक्ति अन्य म्यूल सासारिक चिन्ताओ से मुक्त हो जाएगा। परन्तु ये भी भ्राति मे पूर्ण बेतुकी बाते है । नशे में चूर होने पर व्यक्ति अपने आपे मे ही नही रहता, वह परमात्मपथ को कैसे जान पाएगा? __वस्तुत मोहनीय कर्म की प्रबलता के कारण व्यक्ति की दिव्यदृष्टि (स्वभावदृष्टि) पर जब पर्दा पड जाता है, तब वह स्थूल दृष्टि से आबद्ध होने के कारण परमात्मा के सच्चे मार्ग को देख नहीं पाता । वह भ्रातिवश विविध धर्मो . पथो, मतो, सम्प्रदायो या दर्शनो की मृगमरीचिका मे फस जाता है। परमात्मपथ के दर्शन दिव्यनेत्र द्वारा ही सम्भव जिस प्रकार एक गाँव से दूमरे गाँव जाते समय भूतल पर सडक या मार्ग स्थूल आँखो से साफ दिखाई देता है, उस प्रकार का वीतरागमार्ग नहीं है, जो चर्मचक्षुओ से दिखाई दे सके। वह स्यूलमार्ग नही, अतीन्द्रिय मार्ग है , जो दिव्यविचाररूपी नेत्र से ही दिखाई दे सकता है। अर्थात्-पारमार्थिक-विचारणारूपी दिव्यनयन के बिना मस्तक मे स्थित चमडे की आँखो से परमात्मा का यह अतीन्द्रिय मार्ग देखा नहीं जा सकता। परमात्ममार्ग का यथार्थ निर्णय करने मे चर्मचक्षु सफल नहीं हो सकते और न ही विभिन्न मनो, पयो को देख कर उनके विश्लेषणपूर्वक वीतराग के यथार्थ मार्ग को पृथक् करने मे चर्मचक्षु समर्थ हो सकते हैं। स्यूलनेत्र आखिर कितनी दूर तक देख सकते हैं ? अन्त में उनकी भी सीमा है। स्यूलनेत्रो से प्रमाणनय के भगजाल का या अगसत्यपूर्णसत्य का अथवा आत्मा के स्वभाव-विभाव का दर्शन नहीं किया जा सकता। इसी कारण वीतराग परमात्मा के यथार्थ मार्ग का निर्णय दिव्यदिचाररूपी नेत्र-अन्तश्चक्षु से ही हो सकता है । साथ ही परमात्ममार्ग और ससारमार्ग दोनो का सम्यक् विश्लेपण 'करना भी चर्मचक्षुओ के बूते से बाहर है। दिव्यविचारचक्षु का अर्थ है---शुद्ध आत्मा का ज्ञान, गहरा आन्तरिक ज्ञान , वही आन्तरिक नेत्र है । वीतराग परमात्मा के पथ को जानने-समझने और निरखने-परखने मे दीर्घदृष्टि या रहस्यज्ञ चक्षु होनी चाहिए । बाह्य प्रवृत्ति पर से बहुत-सी बातें समझ में नहीं आती। पर
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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