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________________ ૩૨૪ यध्यात्म-दर्शन सम्प्रदायी गुरगम्यक विचार जोर आचार का मार्गदर्णन देने वाला धर्म-सगठन सम्प्रदाय है । गुरु ऐगे तम्प्रदाय में गम्बर होना चाहिए । एने सम्प्रदाय मे रहने वाला मुगुरु स्वय आत्मानुशामित दाता? और नर को भी अनृणामन मे ग्यता है । सम्प्रदायी गुर गनमाने का मानने वानाचाचारी नही होगा। परन्तु गम्प्रदायी का यह मतलब नहीं हैं कि वह गम्प्रदान के मोह मे या नाम्प्रदायिकता से ग्रस्त हो कर नम्प्रदाय में बनने वाली गलत बातो का नमर्थन करेगा या अपने अनुयायियों को उजना पर दूसरे माप्रदायो मे लडायेगा-गिडायेगा या नवर्प करायेगा। वह गम्प्रदायी गुरु गदाग्रही होगा, दुराग्रही नहीं, वह द्रव्य-क्षेत्र-कान-भाव को देख पार युगानुकूल नाति (परिवर्तन-राशोधन) करेगा। चूंकि सम्प्रदाय मुन्दर मनकारी में जीवन का निर्माण करता है, व्यक्ति को अनुशासित रखता है, उन्म त नहीं होने देता , अत सम्प्रदाय मे रहना बुरा नही, गाम्प्रदायिकता या सम्प्रदाय-गोह से ग्रस्त होना बुग है। गुरु पूर्वोक्त व्याग्यानुसार नम्प्रदायी होगा। वह गरलमना, मरल स्वभावी, चालतात, व रहनसहन मेनन और दम्भ, धूर्तता, वचकना या ठनी से बिलकुल दूर होगा, जो बात जैमी होगी वैसी ही कहेगा, या करेगा । अन्दर-बाहर एक होगा, धर्म-जीपन मे वह दूर होगा । वह प्रभु की साक्षी से गुरु के मार्गदर्शन में अपनी आत्मा की वफादारीपूर्वक धर्माराधना करेगा । अथवा स्वम्पलक्ष मे वचित नहीं होने वाला गुरु हो । शुचिगुरु--वह पवित्र स्वभाव, पवित्र, निष्पाप, निष्कलुप, कपाय माव की क्लिप्टना से दूर एव मर्यादित वेपभूपाघारी होगा। पवित्र गुरु से ही जनता शान्ति का पाठ सीख सकती है । अनुभवाधार गुरु-आत्मगुण तथा व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक अनुभवो का आधाररूप गुरु ही स्वय तर सकता है, दूगरो को तार सकता है । अपने अनुभव के सहारे वह अशान्त वातावरण को शान्त वातावरण में बदल सकता है । अथवा निश्चयष्टि से वह शुद्ध आत्मानुभवी हो। अत शान्ति का स्वरूप जानने का या शाति-प्राप्ति का इच्छुक व्यक्ति उपयुक्त सातो गुणो से युक्त साधक को ही अपना गुरु बनाए, उसी का आश्रय ले, जैसे-तैसे ऐरेगैरे को गुरु बनाने में तो शान्ति के बदने अशान्ति ही पल्ले
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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