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________________ परमात्मभक्त का अभिन्नप्रीतिरूप धर्म ज्योति के प्रकाश के बिना यह जगत् मिथ्यात्वान्धकार मे अधा हो कर भटक रहा है । आत्मदर्शन का रहस्य है-स्वयं स्वय को जाने, पहिचाने, अन्दरअन्दर ही जो ज्ञानादि गुणरत्नो का खजाना भरा पड़ा है, जो कि विल्कुल नजदीक है, उसे भलीभाति समझे। जिसे आत्मदर्शनरूपी ज्योति का प्रकाश मिल जाता है, उस ज्ञानज्योति वाले को आत्मधन भलीभांति दिखाई देता है, वह दूसरो को बता भी सकता है, वह इन्द्रियो के विपयो को आत्मा से भिन्न जानता-मानता है। वह आत्मा के अव्यावाध सुख को वैपयिकसुख से बिलकुल पृथक् समझता है। ____ आत्मधन का अभिलापी मुमुक्षु जव आत्मज और सम्यग्दृष्टि निःस्पृह गुरु के पास आता है, तव गुरु उसे अपूर्ववाणी 'द्वारा कहता है-'तू जिसे चाहता है, वह तो तेरे पास ही है । तीर्थ, धाम आदि वाह्य साधनो को छोड कर तू अपने आत्मस्वरूप मे स्थिर हो जा और ज्ञान दृष्टि से देख) तेरी परमनिधि (आत्मनिधि) तेरे पास ही है।' जगदीश (सारे जगत् पर आध्यात्मिक आधिपत्य जमाए हुए परमात्मा) वीतराग ने भी ज्ञानज्योति द्वारा ही अनन्तचतुष्टयरूप परमनिधि प्राप्त कर जड (भौतिक पदार्थ की) उपासना छोड दी और आत्मचेतन की उपासना की एव उन्होंने ज्ञानज्योति से अपने पास ही परमनिधि को देख ली; वैसे ही हे भव्य । तेरे लिए भी यही उपाय है । परमात्मा के लिए जो कार्य-कारण था, वही कार्य-कारण तेरे लिए भी है। श्रीमानन्दघनजी उस युग के मोहान्ध और पुद्गलानन्दी सासारिक जतो की गतानुगतिकता लकीर के फकीर बनने की वृत्ति) देख कर निर्भीकतापूर्वक स्पष्ट कहते हैं-अधिकाश लोग ऐसे लोगो के चक्कर में पड़ जाते हैं, जो बाहर से तो आत्मज्ञानी, आत्मार्थी और मुमुक्षु होने का दभ, दिखावा और डोल करते है, आत्मा-आत्मा की ही रट लगाते हैं, और आत्मा के विषय मे लच्छेदार भाषण एव वाणी-विलास से लोगो को प्रभावित कर देते हैं, परन्तु अदर से वे काले होते हैं- उनमे कपायो की अग्नि प्रज्वलित रहती है, विषयो की आसक्ति मे और भौतिक जड पदार्थों के मोह मे वे जकडे रहते हैं, भोलेभाले जिज्ञासु लोग, भी स्वार्थलिप्सा एव जडासक्तिवश ऐसे लोगो के पास भटकते हैं, जो जडतीर्थों,
SR No.010743
Book TitleAdhyatma Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandghan, Nemichandmuni
PublisherVishva Vatsalya Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Worship
File Size21 MB
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