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________________ पत्र पन्द्रहवां · · संकलन प्रिय बन्धु । स्मरण-शक्ति के विकास में स्वल्प प्रयत्न से बहुत अधिक याद कैसे रहे, यही सवाल मुख्य है और तुम देख चुके हो कि मन को एकाग्र करने से, इन्द्रियां अधिक कार्यक्षम होने से, कल्पना का विकाम होने से और माहवर्य के सिद्धान्त पर उचित अमल करने पर कितना सरलतापूर्वक याद रह सकता है। अब तुम्हारे इन साधनो मे एक का और समावेश करो-यह है सकलन पद्धति । यह तुम्हे कहा जाए कि निम्नोक्त दस शब्द याद रखो तो तुम कौन-सी रीति से याद रखोगे ? अवलेह, शक्ति, काम, लक्ष्मी, सुख, सिक्ख, अमृतसर, सुवर्ण मन्दिर, सरोवर, कमल । इन शब्दो को तुम इसी प्रकार वाँचते रहोगे तो याद रखना कठिन होगा। इसकी अपेक्षा यदि इनको किसी भी प्रकार से संकलित करोगे, किसी भी वस्तु के साथ जोड दोगे, तो ये अत्यन्त सरलता से याद रह जाएंगे । जैसे कि१-२ अवलेह से क्या होता है ? शक्ति पाती है । 'शक्ति' । २-३ शक्ति पाने से क्या होता है ? अधिक काम हो सकता है। 'काम' काम करने से क्या मिलता है ? लक्ष्मी, 'लक्ष्मी' । ४-५ लक्ष्मी से क्या मिलता है ? सुख, 'सुख' । सुख से मेलवाला शब्द क्या है ? सिक्ख, 'सिक्ख' । सिक्ख का मुख्य स्थान कहाँ है ? अमृतसर, 'अमृतसर'। अमृतसर किससे प्रख्यात है ? सुवर्ण मन्दिर से, 'सुवर्णमन्दिर'। ७-८
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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