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________________ स्मरण कला १७७ नदी-नाला [विरुद्धता] एक स्वच्छ और दूसरा गदा ! (८) कपाल-तिलक [निकटता] कपाल-भाग्य [तादात्म्य) कपाल को देखते ही भाग्य का ख्याल पाता है। ___ कपाल-मुह [समानता] योग्य नही । निकटता उचित है । कपाल-कपोल [समानता) शब्द की समानता है। (६) बक (वगला)-ठग (समानता] दोनों ठग है । बगला-श्वेतता [तादात्म्य] बगला-मछली [निकटता] बगला-साधु [विरुद्धता] एक कपटी, दूसरा प्रामाणिक । (१०) बर्फी-पेडा (समानता निकटता] वर्फी-जहर [विरुद्धता] बर्फी-मिठास [तादात्म्य बर्फी-मावा [कारण भाव] वर्फी-भोजन कार्यभाव] वर्फी का भोजन बनता है। मैं मानता हूँ कि साहचर्य को समझने के लिए अभी इतना विवेचन पर्याप्त है। मगलाकांक्षी धी० मनन __ बात के बदलते विषय, कविता का प्रथम शब्द-साहचर्य, रीछ का उदाहरण, खशालदास, नारायणदास और' चुन्नीलाल आदि नये नाम । साहचर्य के छह प्रकार - समानता, विरुद्धता, तादात्म्य, निकटता, कार्यभाव और कारण भाव ।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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