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चार निक्षेपात्रों का स्वरूप
किसी भी वस्तु के कम से कम चार निक्षेपा प्रसिद्ध हैं। (१) नाम, (२) आकृति, (३) द्रव्य [अतीत, अनागत गुण युक्त वस्तु] (४) भाव [वर्तमान मे गुणयुक्त वस्तु ।
. तात्पर्य यह है कि विश्व के जो कोई पदार्थ है वे समस्त नाम, प्राकृति. द्रव्य एवं भाव इन चारो से युक्त होते हैं ।
नाम आदि चार निक्षेपायुक्त पदार्थ मे ही शब्द, अर्थ एव बुद्धि का परिणाम होता है।
घडे के उदाहरण से भी यह तथ्य स्पष्ट समझा जा सकता है ।
घडे मे ये चार निक्षेप अथवा धर्म विद्यमान होने का बोध ‘घडा' शब्द वोलते ही होने लगता है।
इस प्रकार विचार करते हुए यह बात स्पष्टतया समझी जा सकती है कि नाम, आकृति एव द्रव्य ये तीनो पदार्थ के ही पर्याय हैं, धर्म हैं । इस लिये यह भाव के अगभूत ही है और इस कारण से नाम आदि भी भाव की तरह विशिष्ट अर्थ-क्रिया के साधक वन जाते हैं।
(१) नाम-निक्षेप-पदार्थ का स्वय का नाम ।
उदाहरणार्थ-घडा शब्द ।
(२) स्थापना निक्षेप-पदार्थ का स्वय का प्राकार ।
उदाहरणार्थ-घडे का प्राकार ।
(३) द्रव्य निक्षेप-पदार्थ का मूल कारण ।
उदाहरणार्थ-घडे मे मूल कारण मिट्टी ।
(४) भाव निक्षेप-कार्ययुक्त पदार्थ ।
उदाहरणार्थ-जल से भरा हुआ घडा
मिले मन भीतर भगवान