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________________ द्वितीय खण्ड अभिनन्दन शुभकामनाएं वन्दनाञ्जलियाँ | RE सरल और सुलझे हुए संत ! -प्रवर्तक श्री अम्बालाल जी म० सा० प० रत्न श्रद्धय श्री प्रतापमल जी म० सा० हमारी पीढी के एक समझदार और सुलझे हुए सन्त हैं। कई वार मेरा उनसे मिलने का प्रसग आया। बच्चो जैसी सरलता, मधुर व्यवहार और बातचीत मे आत्मीयता देखकर मैं उनसे प्रभावित हुआ हूँ। मेरा उनसे बहुत निकट सम्बन्ध है । मैं उनके विषय मे इतना तो नि सकोच कह ही सकता हूँ कि किसी के लिये उनसे उलझना आसान नहीं है। क्योकि वे स्वय अपने मे बहुत सुलझे हुए हैं। शतायु वनकर शासन सेवा करते रहे यही शुभ कामना | मेरी असीम मंगल कामनाएं ___- बहुश्रुत श्री मधुकर मुनि जी भक्तगण श्रद्धय मुनि श्री प्रतापमल जी म. का अभिनन्दन करने की साज-सज्जा मे सलग्न है यह जानकर अतीव प्रसन्नता है मुझे । साधना के पथ पर अविराम गति से अपना पदन्यास करने वाले सत जनो का अभिनन्दन करना उनके प्रति अपनी आस्था का एक प्रकर्ष रूप है। भक्तगण का मुनि श्री जी के इस अभिनन्दन के साथ मेरा भी यह अभिनन्दन प्रस्तुत है । मुनि श्री जी सयम साधना के पथ पर निरन्तर बढते चलें और चिरजीवी बनें-यही एक मात्र शुभ मगल कामना । हार्दिक मंगल कामना -उपप्रवर्तक श्री मोहनलाल जी म० सा० जीवन का यह एक जाना माना जीवन्त तथ्य है कि सयमशील एव तपोमय महान जीवन की दिव्य झलक-झाकी, जन जीवन के अन्तराल मे त्याग, तप एव सयम की उदात्त भावनाएं जगाती हैव्यक्ति के जीवन मे कुछ कर गुजरने की हिलोरें पैदा करती है जीवन निर्माण की दिशा में आगे बढ जाने के लिए उत्प्रेरित करती है । हर्ष का विपय है कि त्याग-वैराग्य के पवित्र पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने वाले स्थानकवासी समाज के महान सत श्रद्धेय श्री प्रतापमल जी म. सा. के सुदीर्घ चारित्र पर्याय एव सघ-सेवा के उपलक्ष्य मे प्रताप अभिनन्दन ग्रथ प्रकट होने जा रहा है।
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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