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________________ द्वितीय खण्ड सस्मरण | ६१ कर दी। वरन् नाता का खाता वढता ही जाता । सुनिये-सत जीवन का कोई अपमान किंवा सम्मान, विनोद अथवा विरोध, निंदा अथवा तारीफ करें हमे तनिक भी खेद नहीं होता है। हम जानते हैं कि विचार धारा सभी की एक समान नही रहती है। आप इसी प्रकार भविष्य मे सरल वृत्ति अपनाये रखे । साप्रदायिक पक्ष के दल-दल मे उलझें नहीं । निष्पक्षपातपूर्वक जीवन वितावे । सद्वोध ग्रहण कर चलता बना। १७. भविष्यवाणी सिद्ध हुई उन दिनो गुरुदेव दिल्ली विराज रहे थे । सुविधानुसार पजाव सप्रदाय के कई विद्वद मुनि प्रवर एव आचार्य श्री गणेशीलाल जी म० के शिष्यरत्न श्री नानालाल जी म० भी इलाज के लिए अन्य स्थानक मे वही-कही रुके हुए थे। "सत मिलन सम सुख जग नाही" इस कथनानुसार मुनियो का एक विशिष्ट स्थान पर मधुर मिलाप हुआ था। विचारो का सुन्दरतम आदान-प्रदान एव स्नेहिल वातावरण के उन क्षणो मे गुरु महाराज की शात दृष्टि सम्मुख विराजित एक मुनिराज के हाथ पर जा टकराई । उस मुनि के करतल में बहुत ही सुन्दर प्रभाविक ऊर्ध्वरेखा खीची हुई थी । जो विशिष्ट भावी भाग्य-उन्मेप-उन्नयन की प्रतीक थी। __ हस्तरेखा देखकर गुरुदेव बोले--मुनिराज | आप भले विश्वास करे या नही। किंतु मेरा पक्का अनुमान है कि-ऊर्ध्वरेखा यह आप को भविष्य मे जैन समाज के आचार्य जैसे महान पद पर प्रतिष्ठित करेगी। आप कोई कल्पित बात नही समझें । ___ मत्यएण वदामि | आप की भविष्य वाणी मिल भी सकती है। किंतु इन दिनो जहां-तहाँ सप्रदायवाद का व्यामोह छोडकर एकीकरण योजना का नारा बुलन्द हो रहा है। समाज मे सगठन के स्वर दिन प्रतिदिन गूज रहे हैं और आप फरमा रहे कि तुम आचार्य पद पर आसीन होगे? कुछ भी हो भविष्यवाणी अवश्य मिलेगी। सभी मुनि प्रवर अपने-अपने स्थानो की ओर लौट गये । वात वही की वही रही। नदनुमार गुरु भगवत की वही भविष्य वाणी उदयपुर मे सिद्ध हुई । इसलिए कहा है-- जो भाणे वालक कथा, जो भाष मुनिराय । जो भाणे वर कामिनी, एता न निष्फल जाय ॥ १८ आक्षेप निवारण महाराज श्री का वनारस पदार्पण हुआ था । व्याख्यान के पश्चात् एक सस्कृत निष्णात पडित सेवा मे उपस्थित हुआ। कुछ वार्तालाप के पश्चात् वोला-महाराज | आप भले जैनधर्म को मुक्त कठ से
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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