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शास्त्रीय प्राकृत साहित्य
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प्रतिपादित बताया गया है । गुणचन्द्रगणि ने कहारयणकोस में चूडामणिशास्त्र का उल्लेख किया है। चंपकमाला चूडामणिशास्त्र की पंडिता थी । वह जानती थी कौन उसका पति होगा और कितनी उसके संताने होंगी।' इसमें कुल मिलाकर ७३ गाथायें हैं ।
निमित्त पाहुड
इसके द्वारा केवली, ज्योतिष और स्वप्न आदि निमित्त का ज्ञान प्राप्त किया जाता था । भद्रेश्वर ने अपनी कहावली और शीलांक की सूत्रकृतांग टीका में निमित्तपाहुड का उल्लेख किया है ।"
अंगवा (विद्या )
अंगविज्जा फलादेश का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जो सांस्कृतिक सामग्री से भरपूर है । अंगविद्या का उल्लेख अनेक प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है ।" यह एक लोकप्रचलित विद्या थी जिससे शरीर के लक्षणों को देख कर अथवा अन्य प्रकार के निमित्त या मनुष्य की विविध चेष्टाओं द्वारा शुभ-अशुभ फल का बखान किया जाता था । अंगविद्या के अनुसार अंग, स्वर, लक्षण, व्यंजन, स्वप्न, छींक, भौम, अंतरिक्ष ये निमित्त कथा के आठ
१. देखिये लक्ष्मणगणि का सुपासनाहचरिय, दूसरा प्रस्ताव, सम्यक्त्व प्रशंसाकथानक ।
२. देखिये प्रोफेसर हीरालाल रसिकदास कापडिया, पाइयभाषाओ अने साहित्य पृष्ठ १६७-८ ।
३. मुनि पुण्यविजय जी द्वारा संपादित, प्राकृत जैन टैक्स्ट सोसायटी द्वारा सन् १९५७ में प्रकाशित ।
४. पिंड नियुक्ति टीका ( ४०८ ) में अंगविद्या की निम्नलिखित गाथा उद्धृत है—
इंदिएहिं दियत्थेहिं समाधानं च अप्पणी | नाणं पवत्तए जम्हा निमित्तं तेण आहियं ॥