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समराइश्चकहा
४०९ उल्लेख है। प्रश्नोत्तर की पद्धति पर कुछ प्रश्न किये गये हैं, जिनका उत्तर गुणचन्द्र देता हैप्रश्न-किं देन्ति कामिणीओ ? के हरपणया? कुणंति किं भुयगा ?
कंच मऊहेहि ससी धवलेइ ? उत्तर-नहंगणाभोयं (१ नख, २-गण, ३-भोग (सर्प का
फण)४-नभ के आँगन का विस्तार ।
-कामिनियाँ क्या देती हैं ? नख । शिव को कौन प्रणाम करते हैं ? उनके गण | सर्प क्या उठाते हैं ? अपना फण। अपनी किरणों द्वारा चन्द्रमा किसे धवल करता है ?
नभ के आँगन को। प्रश्न-कि होइ रहस्स वरं ? बुद्धिपसाएण को जणो जियइ ?
किं च कुणन्ती बाला नेउरसइं पयासेइ ? उत्तर-चक्कमन्ती (१-चक्र, २ मंत्री, ३ चंक्रममाणा)।
रथ का श्रेष्ठ हिस्सा कौन सा है ? चक्र । अपनी बुद्धि के प्रसाद से कौन विजयी होता है ? मंत्री। क्या करती हुई बाला नुपूर की ध्वनि करती है ?
चलती हुई। प्रश्न-किं पियह ? किंच गेण्हह पढमं कमलस्स ? देह किं रिवुणो ?
नवबहुरमियं भण किं ? उवहसरं केरिसं वक्कं ? उत्तर-कण्णालंकारमणहरं सविसेसं (१ कं, २ नालं, ३ कार,
४ मनोहर, ५-सविशेष)। -क्या पिया जाता है ? जल | कमल का पहले कौन सा हिस्सा पकड़ा जाता है ? नाल | शत्रु को क्या दिया जाता है ? तिरस्कार। नव वधू में रत पुरुष को क्या कहते हैं ? मनोहर |
उपधा' का स्वर कैसा वक्र होता है ? सविशेष । १. व्याकरण में अन्त्यवर्ण से पूर्व वर्ण को उपधा कहा गया है। अलोऽन्त्यात्पूर्व उपधा (सिद्धान्तकौमुदी १.१.६५)।