________________
वसुदेवहिण्डी
३९१ विवाह हो गया। केकयी स्वजनों का आदर-सत्कार करने में कुशल थी। इस पर प्रसन्न होकर राजा दशरथ ने केकयी से वर माँगने को कहा | प्रत्यंत राजाओं के साथ युद्ध होने के समय भी केकयी ने सहायता की थी। राम के परिणतवय होने पर दशरथ ने राम के अभिषेक का आदेश दिया। इस अवसर पर कैकयी ने भरत के राज्याभिषेक और रामचन्द्र के निर्वाण के लिए वर माँगा | राम सीता और लक्ष्मण के साथ वन को चले गये। भरत रामचन्द्र की पादुकायें रख कर अयोध्या का राज करने लगे। वनवास के समय एक बार रावण की बहन सूर्पणखा रामचन्द्र के पास उपस्थित होकर उनसे विषयभोग के लिए प्रार्थना करने लगी। रामचन्द्र ने उसके नाक-कान काटकर उसे भगा दिया। वह रोती हुई अपने पुत्र खरदूषण के पास पहुँची। राम-लक्ष्मण और खरदूषण में युद्ध ठन गया। उसके बाद खरदूषण के कहने पर सूर्पणखा रावण के पास पहुँची। रावण ने सीता के रूप की प्रशंसा सुन रक्खी थी। उसने अपने मंत्री मारीच को मृग का रूप धारण कर वन में भेजा, जहाँ राम, लक्ष्मण और सीता निवास करते थे। सुन्दर मृग को देखकर सीता ने राम से उसे लाने को कहा। राम धनुष-बाण लेकर मृग के पीछे भागने लगे | अपना नाम सुनकर सीता के अनुरोध पर लक्ष्मण ने भी राम की रक्षार्थ प्रस्थान किया। इस बीच में रावण तपस्वी का रूप धारण करके आया, और सीता को उठा ले गया। राम ने अपनी सेना लेकर लंका पर चढ़ाई कर दी। विभीपण ने सीता को लौटाने के लिए रावण को बहुत समझाया, लेकिन रावण न माना। दोनों सेनाओं में युद्ध होने लगा। लक्ष्मण ने रावण का वध किया । लक्ष्मण आठवें वासुदेव के
१. सयणोवयार वियक्खणाए । फादर कामिल बुल्के इसका अर्थ करते हैं-शयनोपचारविचक्षण, अर्थात् काम क्रीडा में कुशल । यही अर्थ ठीक मालूम होता है। कामशास्त्र में शयनोपचार सम्बन्धी १६ कलाओं का उल्लेख है।