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३९२ प्राकृत साहित्य का इतिहास नाम से प्रसिद्ध हुए। राम सीता, विभीषण और सुग्रीव आदि के साथ अयोध्या लौट आये। भरत और शत्रुघ्न ने राम का राज्याभिषेक किया। __बालचंदालंभन में मांसभक्षण के सम्बन्ध में विचार है। दूसरे के द्वारा खरीद कर लाये हुए मांस के भक्षण में, अथवा कुशलचित्त से मध्यस्थभावपूर्वक मांस भक्षण करने में क्या दोष है ? इन शंकाओं का समाधान किया गया है। बंधुमतीलंभन में वसुदेव ने तापसों को उपदेश दिया। इस प्रसंग पर महाव्रतों का व्याख्यान और वनस्पति में जीवसिद्धि का प्रतिपादन है। मृगध्वजकुमार और भद्रकमहिष के चरित का वर्णन है। नरक के स्वरूप का प्रतिपादन है। नास्तिकवादियों के सिद्धांत का प्ररूपण है । नास्तिकवादी जीव को देह से भिन्न पदार्थ स्वीकार नहीं करते थे। __पियंगुसुन्दरीलंभन में विमलामा और सुप्रभा की आत्मकथा है । यहाँ 'ण दुल्लहं दुल्लहं तेसिं' की समस्यापूर्ति देखिएविमलामामोक्खसुहं च विसालं, सव्वट्ठसुहं अणुत्तरं जं च ।
जे सुचरियसामण्णा, ण दुल्लहं दुल्लहं तेसिं ।।
-विशाल, सर्वार्थसुखरूप और अनुत्तर मोक्षसुख सुचरित पुरुषों के लिए दुर्लभ नहीं है, दुर्लभ नहीं है। सुप्रभा
सल्ले समुद्धरित्ता अभयं दाऊण सव्वजीवाणं ।
जे सुटिया दमपहे, ण दुल्लहं दुल्लहं तेसिं ॥ १. रामायण की कथा के लिये देखिये आगे हरिभद्र का उपदेशपद और विमलसूरि का पउमचरिय । प्रोफेसर वी० एम० कुलकर्णी ने वसुदेवहिण्डी की रामकथा पर जरनल ऑव ओरिंटिएल इंस्टिट्यूट, बड़ौदा, जिल्द २, भाग २, पृ० १२८ पर एक लेख प्रकाशित किया है। जैन रामायण पर सन् १९५२ में एक महानिबंध (थीसिस) भी इन्होंने लिखा है।