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व्याख्यान-तीसरा ..
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समारंभ खटकना चाहिये । अनारंभी बने विना मोक्ष नहीं मिल सकता है। और जब तक मोक्ष नहीं मिले तब तक जन्म मरण के फेरे नहीं टल सकते हैं । .
सामायिक के चार प्रकार हैं :-(१) समकित सामायिक (२) श्रुत सामायिक (३) देशविरति सामायिक (४) सर्व विरति सामायिक । . . . . . . . . .
नारकी के जीव अनारंभी नहीं कहे जा सकते हैं वे आत्मारंभी कहे जाते हैं क्यों कि अविरति धर हैं। . . पच्चक्खाण के चार भांगा हैं । (१) देनेवाला और लेनेवाला दोनो जानने वाले हों तो वह प्रथम शुद्ध भांगा है। २) देनेवाला जानकार हो और लेनेवाला अनजान हो तो वह दूसरा भांगा है । (३) लेनेवाला जानकार हो
और देनेवाला अनजान हो तो वह तीसरा भांगा है। . (४) देनेवाला और लेनेवाला दोनो अगर अनजान हों तो
वह चौथा अशुद्ध भांगा है। ... .. : . सूत्रों का ज्ञान हरेक को करना चाहिये। जिससे 'धर्म क्रिया करते समय मन शुभ ध्यान में मशगूल रहे।
देवपना की अपेक्षा मनुष्य पना उत्तम कहलाता है। क्योंकि देवलोक में सर्व विरति की आराधना नहीं हो सकती है। और मनुष्यपने में हो सकती है । सात क्षेत्रों
धन खर्च करनेवाला अगर साधु बनता है तो वह . उत्तम कहलाता है। .. ... . चौवीस दंडक में परिभ्रमण करने वाले को कर्मराजा डंडा मार रहे हैं । इसलिये चौवीस दंडक कहलाते हैं ।
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