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प्रवचनसार कणिका
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आंख में मनोहरता होती है। शासन के अनुरागी आत्माओं के लिये मनोहरता होती है और शासन के द्वेषी आत्माओं के लिये भयंकरता होती है। .. . ___ मनुष्य तीन प्रकार के होते हैं :-(१) धर्मी (२) अधर्मी (३) धर्म के विरोधी । धर्मी की भक्ति करनी चाहिये। अधर्मी पर दया रखनी चाहिये । और धर्म विरोधी की उपेक्षा करनी चाहिये ।
सुपात्र तीन प्रकार के होते हैं । (१) उत्कृष्ट सुपात्र .. (२) मध्यम सुपात्र (३) जघन्य सुपात्र । सुसाधु. उत्कृष्ट .. सुपात्र कहलाते हैं। वारह व्रतों को धारण करनेवाले . श्रावक मध्यम सुपात्र कहलाते हैं। और बारह ब्रतों में से एकाद को धारण करनेवाले और वीतराग शासन में दृढ श्रद्धा करनेवाले रागी श्रावकः जघन्य सुपात्र कहलाते हैं।
संसारी आत्माओं के लगे हुये आठ कर्मरूपी रोग को दूर करने के लिये जिनेश्वर प्ररूपित धर्म ही रामवाण
औषधि है। ... गुरु और गोर में बहुत फर्क है । गोर तो दोनों को . .. लग्न से यानी शादी से इकट्ठा करता है और गुरु महाराज . तो दोनों को वैरागी वनाने वाले होते हैं। - अपने जीव को अनन्तकाल तक परिभ्रमण करानेवाले
आरंभ-समारंभ हैं। , जो आरंभ-समारंभ का त्याग करते हैं वे मोक्ष में
जाते हैं । अगर मोक्षलोक में नह जा सकें.तो देवलोक में तो अवश्य ही जाते हैं । इसलिये जीवको आरंभ