SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 477
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - जीवनदर्शक-गुरु गुण गीत ४२७. (९) भोगणीससी पंचागुं लाले वैशाख मास सुहाय सुद पांचम खोपोली नगरे गणी पदवी त्यां थाय गणी पदबी त्यां थाय । जिनवर०. ०) वैशाख पदि छहना दिवले पूना केम्प मोझार पन्यास पद्वी थाय त्यारे उलटे नरने नार उलटे नरने नार । जिनवर० (११) ओगणीसली नवाणुं वरसे फागण मास सुहाय . राजनगरमा सुन त्रीजना पाठक पद्वी थाय पाठक पदवी थाय । जिनवर० .. (१२) उपाध्यायनी पदवी लईने विचरे देशोदेज शिप्य प्रशिप्यो साथे फरता आपे उपदेश .. . आपे छे उपदेश । निजवर०. (१३) वे हजार ने पांचनी साले शेरडी नगर मोझार ' महासुद पंचमीना दिवसे, आचार्य पदवी थाय . आचार्य पदवी थाय । जिनवर०. (१४) रामचन्द्र सूरीश्वर गुरूना पहेला पट्टधर थाय विजय भुवन सूरीश्वर गुरूजी शासन नाशणगार शासनना शणगार । जिनवर (१५) भारतभरमां सूरिजी विचरे करता जग उपकार प्रभुवीरनो संदेश सुणावी करावे. जय जयकार करावे जय जयकार । जिनवर ... (१६) प्रभु महावीरनी पाटे आव्या ज्योतिर्विद कहेवाय दान सूरीश्वर गुरूजी प्यारा शासनना सुलतान शासनना सुलतान । जिनवर०. (१७) पंचोतेरमी पाटे आन्या प्रेम सूरीश्वर नामे गच्छ पतिनुं वीरुद् धरावे, समकीतना दातार समकीतना दातार । जिनवर
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy