SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 476
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२६ प्रवचनसार कर्णिका - - - - ___ (राग-कोना पगले पगले चाली जाय छे वणझार) । (१) जिनवर पंथे पंथे चाल्या जाय छे सूरिराज सूरिजीतुं जीवन सुन्दर सुणजो हे नरनार सुणजो हे नरनार । जिनवर .. (२) ओगणीससोने वेसठ साले, महा मास सुखकार सुद् तेरसना जन्म थयो छे, वर्ते लीला ल्हेर; वर्ते लीला ल्हेर । जिनवर० . (३) उदयपुरना छो रहेवासी, पिता लक्ष्मीलाल माता कंकु कुक्षी जाया, भगवती नाम सुहाय भगवती नाम सुहाय । जिनवर० । (४) ओगणीससौने अंसी साले, मागशर मास सुहाय राजोद ग्रामे सुद छहना, ले संयम स्वीकार; ले संयम स्वीकार ! जिनवर० (५) लोल वरसती नानी वयमा त्याग्यो छे लंसार राम गुरुना प्रथम शिष्य, भुवन विजय महाराज भुवन विजय महाराज | जिनवर (६) दान प्रेमने राम गुरुनी, करता भक्ति रोज दिवसे दिवले ज्ञानमां वधता करता गुरुती सेवा करता गुरुनी सेवा । जिनवर० (७) तपने करता जपने करता करता आतमध्यान वैयावच्चने दिलथी करीने साये निज कल्याण साधे निज कल्याण । जिनवर (८) त्यागीने वैरागी सारा विचरे देशोदेश एक टंकनो भोजन लईने करता तप. अभ्यास करता तप अभ्यास । जिनवर
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy