________________
आभार-प्रदर्शन
.. सरत-अमरसर जैन संघने अपने ज्ञान खातामें से यह ग्रन्थ-रत्न के प्रकाशन में रुपये ५००१) का दान उदारता से देकर अपूर्व श्रुत-भक्ति की है उसके बदल
हम उनका अंतःकरण से आभार मानते हैं, . .. और......
साधना प्रिन्टरी के मालिक श्री कान्तिलाल सोमालाल शाहने एक मासके अल्प समय में ३० फर्मा का यह ग्रन्थरत्न हिन्दी भाषा में तैयार करके हमको देकर अद्भुत आश्चर्य
सर्जा है उसके बदल हम अंतःकरण से ..... ... ... ... उनका आभार मानते हैं । .
... ली. .. . पू० आचार्यदेव. श्रीमद
विजय भूवनसरीश्वरजी महाराज जैन ज्ञानमंदिर ट्रस्टका ट्रस्टी मंडेल