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देशके अन्दर विलास पोषक साहित्य का विकास खूब हो रहा हैं। उसके सामने आपने प्रस्तुत ग्रन्थमें आर्य संस्कृति का सुन्दर विवेचन किया है।
समाज के नागरीकों को धर्माभिमुख बनाने के लिये यह ग्रन्थमें ___ आपने जो प्रयास किया है वह स्तुत्य हे ।।
देशकी सब भाषाओमें यह ग्रन्थ छप जाय तो समाजमें खूब खूबः परिवर्तन हो सकता हे ।
आपका...... पुनमचन्द विशनोई,
"अभीप्राय"
खाद्य मन्त्री,
राजस्थान, जयपुर, कोट नं. १३
ता. २७-१०-६८, जैन मुनिश्री जिनचन्द्रविजयजी, _ आपने भेजा हुआ “प्रवचनसार कर्णिका, नामका गुजराती युस्तक मीला ।
एतदर्थ धन्यवाद,
प्रस्तुत ग्रन्थ सचोट एवं सरल गुजराती भाषामें लीखा हुआ .. होनेसे समाजको खूब उपयोगी निवडेगा,
आध्यात्मीक जीवन जीनेवाले जैनाचार्य श्रीमद् विजय भुवनसूरीश्वरजी महाराज जैन एवं जैनेत्तर समाजमें प्रचलीत विद्वान जैनाचार्य हे ।
___ यह पुस्तकमें आध्यात्मीक वातोकी चर्चा सुन्दर रितिसे की है, साथ साथ जीवन स्पर्शी वातोको भी समझाइ हे, इसलिये यह पुस्तक प्रत्येक मानवको उपयोगी होगा ।
यह ग्रन्थ राष्ट्रभाषामें छपानेसे साहित्य क्षेत्रमें अनेरी भात पाउने वाला बनेगा, एवं समाजका उपकार होगा । ...... ... ... .......... .. आपका......
..... परशराम मदेरना,'