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३८ तपश्चर्या की नोंध :१-१६ उपवास १-१० उपवास ३५- ८ उपवास २५- ५ उपवास १००- ३ उपवास
१००-२ उपवास चौसठ प्रहरी पोषध पच्चीस भाइयोंने किये थे । कुल पोषध ५०० हुए थे।
भादौं सुदी १ को जन्म वांचन करने के लिये नून संघकी विनती से पू० भहाराज श्री जिनचंद्र विजयजी महाराज आदि ठाणादो पधारे थे । वहां स्वप्न द्रव्यकी उपज अच्छे प्रमाणमें हुई थी। ... ओलीकी आराधना और नवान्हिका महोत्सवकी उजवणीः
आसों सुदी ७ से शास्वती ओलीकी आराधना में १०० भाविक जुडे थे । सातम से लगाकर पूनम तक भिन्न भिन्न पुण्यंशालियों की तरफ से बड़ी पूजा, आंगी एवं प्रभावना होती थी। ऐतिहासिक अभूतपूर्व कार्य :
यहाँ के संघने धर्मशाला आदि बनाने के लिये देवद्रव्यके करीब ५० हजार रुपये लगाये थे। उस देनाकी समाप्ति करके पापमें से मुक्त होने के लिये आसो सुदी १० दोपहर को, संघको एकत्रित करके पू० श्रीने जोरदार अपील की और देवद्रव्य के भक्षन से होनेवाली बरबादी का वर्णन किया । यह सुनते ही संधने, साधारण खाता का चंदा बनाने का निर्णय किया और चंदा चालू होते हो ६०००० साठ हजार रुपयोंका चंदा हो गया । द्रव्य सहायक पुण्यशालियों के नाम एक बड़ी तक्तीमें उपाश्रयमें लगाए गए हैं । .. :: ..