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________________ सूत्रको गृहांगण ले जाकर भक्ति करके प्रातः जुलूस के साथ उपाश्रयमें लाये थे। अमावस प्रातः इन्द्रमलजीने ११०१ रुपयों का चढावा बोलकर कल्पसूत्र बहोराने का लाभ लिया । . .. भादौ सुदी १ दोपहर को उछामणी का रंग यहाँ के इतिहास में सुवर्णाक्षरों में लिखा जाय ऐसा हुआ था। स्वप्नदर्शन का चढावा चालू होते ही २५००० का चढावा हुआ था । पालनाको गृहांगण ले जानेका चढावा शाह सुमेरमलजी ने पैंतालीस सौ एक मन (४५०१) बोलकर लाभ लिया था। .. .. ... . भादौं सुदी ३, वारसा सूत्रको गृहांगण ले जानेका चढावा, ७०१. मन चोलकर उकचंदजी ठाठसे ले गए और सुबह जुलूसके साथ ले आए। भादौ सुद ४ आज महापर्व संवत्सरी का पवित्र दिन होने से वारसा सूत्र सुनने के लिये श्रोताओंसे होल भर गया था। वारसासून वहोराने का चित्र-दर्शन एवं पाँच पूजाका चढावा सुन्दर हुआ था। अपूर्व शान्तिके. वातावरणमें पू० श्रीने बारसासूत्र मधुर रीतिसे सुनाया था। . अंतमें प्रभावना के वाद चैत्य परिपाटी हुई थी। . भादौं सुदी ५ को पारणा उकचंदजीने कराये थे। शामको स्वामी · वात्सल्य शाह हरकचंदजी की तरफसे हुआ था । सुदी ६ को स्वामी वात्सल्य छगनलालजी की तरफसे हुआ था । ... पपण पर्वकी आराधना करने के लिये एक हजार १०.०० भाई बहन बाहर गाँवसे पधारे थे। ऐतिहासिक उपज :- .... . .. ५०१०) देव द्रव्यमें । .... १५०००) ज्ञान द्रव्यमें । डायमें । . . . . . ... . . . . ८०००) गुरु भक्तिमें । ३०००) जीव दयामें हुए थे।
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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