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________________ ३६ . सताईस हजार उपसर्गहर स्तोत्र का जाप :- " : श्रावण सुदी १, प्रातः सामुदायिक स्नात्रपूजा एवं प्रवचन होनेके वाद १५० भाई-बहन उपसर्ग हर स्तोत्र के जापमें तदाकार हुए थे। दोपहर को मूंगकी वानगी से लालचंदजी की तरफ से एकासना कराया गया था। पंचरंगी तपकी सौरभ : श्रावण सुदी १० से श्रावण वदी १ तक पंचरंगी तपकी आराधना में ५५ भाई-बहन सम्मिलित हुए थे। ९ मीको उत्तर पारणा कपूरचंद जी की तरफ से और श्रावण सुदी १ को पारणा श्री चमनाजी की. । तरफ से हुए थे। . एक मुनिश्रीने १६ उपवास किये थे । उनका पारणा सेठ.. फुलचंदजी के यहां चढावा से हुआ था । अक्षय निधि तप : श्रावण वदी १ से . अक्षयनिधि तश्में ५० भाईबहन जुड़े थे। उनकी १५ दिनकी भक्ति का लाभ भिन्न भिन्न पुण्यशालियों में प्रवचन के बाद पू० आ०देव आदि संघको गृहांगण में पगलां कराके प्रभावना . करके एकासना करवाके एक एक रुपया और श्रीफल द्वारा भक्ति की थी।.. पर्वाधिराज की आराधना : पर्वाधिराज को वधाने के लिये जनसमूह का मन तलस रहा था। ध्वजा पताका और कमानों से नगर को शणगारा गया था । - • . श्रावण वदी ११, शामको स्थानीय संघने विशाल पाये पर उपधान तप कराने का निर्णय होने से -गाँबमें खूब हर्ष मनाया गया। ... " श्रावण वदी १२, १३, १४ अष्टान्हि का व्याख्यान प्रभावशाली हुए । १४ शामको २०१ मनका चढावा बोलकर शाह वर्जिगजीने कल्प
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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