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________________ __ सबका स्वामी वात्सल्य स्थानीय संघकी तरफसे हुआ था । वडे : - मेले के जैसा दृश्य खड़ा हुआ था । .. . दोपहर को शान्ति स्नात्रकी क्रिया विधि-विधानसे हुई थी। : विधि-विधान के लिये प्रतापचंदजी पधारे थे। पूजा भावना के लिये .. संगीतकार हरजीवनदास अपनी मंडली के साथ पधारे थे । . .... आठों दिन नित्य नई पूजा आंगी प्रभावना आदि का कार्यक्रम होता था । . . . .: - नित्य त्रिकाल चौघडिया, प्रभु दरबार :एवं पू० आ० देव के : - भवन के वाहर. बजते थे । . . . . . . . . . विजली की रोशनी से पूरे नगर को सजा दिया गया था । .:सत्ताईस गाँव के भाविक उपधान तप में जुड़े थे । .. . : महोत्सव देखने के लिये बम्बई, मद्रास, वेगलोर, महीसूर, : इस्लामपुर, रानी बेनोर, पूना, कराड सतारा, रहमतपुर, अहमदाबाद, आबू रोड, रोहिडा, पिन्डवाडा सादडी, बेडा वरली जोधपुर शिवगंज, वांकली, जीलोर जीवाल गोहिली तिरोही मांडानी आदि अनेक गाँवों से . भाविक जन दर्शन वंदन एवं महोत्सव के लिये पधारे थे। ... .सिरोही दरवार एस. डी. ओ. सप्लाय ओफिसर मांडानी ठाकोर,.. • मंडवारिया ठाकोर उड ठाकोर आदि महानुभाव भो दर्शनार्थ पधारे थे। . . धन्य जैन शासन । . . ली.. . Sd/- उपधान तप समिति,. . मु. पो. उड (राजस्थान) . .
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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