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________________ ३२ ‘आदि यहां पधारे थे। दोपहर को २ बजे माला-रोपण का भव्य " वरघोड़ा (जुलूस) बड़ी धूमधाम से चालू हुआ। उसमें सबसे आगे पाडीव दरवार का निशान-डंका, देशी वाद्य मंडली, चाँदी की इन्द्र ध्वजा जोधपुर महाराजा का सुवर्ण अंबाडी से मुशोमित विशाल गजराज ९ मोटरकारें एवं अन्य वाहनों की श्रेणियां दिप रहीं थीं। उसके बाद बीजापुर का प्रसिद्ध अमृत बेण्ड पू० आ० देव आदि · विशाल मुनिन्द, हजारों का मानव-समूह, भजन-मंडली, गीतमंडली, नाटक मंडली भक्ति रसमें तरयोल होकर चल रहीं थीं । उसके बाद चाँदीके विशाल रथमें त्रिभुवन धनी विराजमान थे। पीछे हजारों नारियां मंगल गीत गातों हुई दृष्टिगोचर होती थीं । आजके जैसा वरघोडा इस गाँव के अंदर पहले कभी भी नहीं निकला था। रातको भक्तिरस का प्रोग्राम होने के वाद ९ बजे पू० या० देवी सान्निध्यता में मालाकी उछामणी चाल, हुई। देखते देखते ही __ . एक घण्टे में ४० हजार रुपयों की आमदनी हुई ।। फागुन मुदी ७ मालादिन, आजके दिनका इन्तजार लोग चातक की तरह कर रहे थे । प्रातःकाल से ही आनंद-मंगल की ध्वनि होने . लगी थी । हरेक स्थानपर नारियां रास-गरवा रमती हुई दृष्टिगोचर हो. रहीं थीं। ८॥ बजे बेण्ड की मधुर ध्वनि के साथ पू० आ० देव अपनी "व्यास पीठ पर पधारे । हजारों के दिल नाच उठे। नन्दी की क्रिया चाल, हुई। माला परिधान का गीत सामूहिक रूपसे बुलाया गया । आनन्दभरे वातावरण के साथ ६० माला परिधान का. कार्यक्रम - समाप्त हुआ । आज वाहर गाँवसे हजारों नर-नारी महोत्सव देखने के लिये. पधारे थे। .
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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