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महोत्सव शानदार रीतसे उजवने का निर्णय किया गया था। उसके अनुसार फागन वदी १४ (गुजराती भहावदी १४ ) से महोत्सव का प्रारंभ हुआ। .... . . ... सुबह कुम्भ स्थापना दीपक स्थापन एवं जवारोरोपण आदिको क्रिया वड़ी धामधूम से हुई।
... फागुन मुदी १ व्याख्यान उठने के बाद शेठ अम्बालाल नथमलजी. के यहां चतुर्विध संघके साथ पूज्य आचार्यश्री के पगला कराने का. होनेसे वीजापुर से आया हुआ अमृत वेन्डपार्टी के साथ उनके गृहांगण पधारे थे । सुवर्ण की गहुंली द्वारा पूज्यश्री को वधाया. गया था। . तत्पश्चात् पू. आचार्य देव और सब मुनिवरों का पूजन करके . उपस्थित १७ साधु साध्वियों को ७०-७० रुपये की कामलीं यहोराकर लाभ लिया था। . . .
मंगलाचरण के बाद अंतमें प्रभावना हुई थी। . तत्पश्चात् चुन्नीलालजी के घर पर पगलां किये थे । वहां पर भी उपरोक्त क्रिया हुई थी। मंगलाचरण के बाद अंतमें प्रभावना.. हुई थी।
फागुन सुदी ३ दोपहरको नवग्रह पूजन, दशदिक्पाल पूजन, एवं अष्टमंगल पूजने वड़ी शुद्धता से हुये थे । .. ___" फागन सुदी ४ दोपहरको मन्दिरजी में सब पटों का अभिषेक हुआ था । ..
. · फागुन सुदी ५ दोपहर को सामुदायिक प्रभावना का कार्यक्रम रखा गया था। उस समय ५० के करीब छोटी बड़ी प्रभावनायें हुई थी । . . . . . . : . . फागुन सुदी छः आज पू० पन्यासजी श्री भद्कर विजयजी म.