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(अमरसर) सरतनगरे विविध अनुष्ठानों से भरपूर
चातुर्मास एवं पर्वाधिराज की आराधना :नगर प्रवेश :
गच्छाधिपति पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा के-प्रथम पट्टालंकार पूज्य आचार्य देव श्रीमद् विजय भुवनसूरी श्वरजी महाराजा अपने विद्वान शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजय जी महाराज आदि ठाणा छः के साथ हमारे संघ की अत्यंत आग्रहभरी चातुर्मासीय विनती को स्वीकार कर के अषाढ वदी २ दिनांक १२-६-६८ बुधवार प्रातःकाल में आहोर की बेन्ड पार्टी देशी वाच मडली और वासुपूज्य सेवामंडल आदि के साथ हर्ष भर पूर्ण नर नारियां सन्मुख आयी थीं। .. दो माइल दूर से स्वागतयात्रा चालू हुई थी। नगर को ध्वजा • पताका एवं कमानों से श्रृंगारा गया था । जगह जगह पूज्य श्री को वधाया गया था। उपाश्रय में मंगल देशना के बाद लाडू की प्रभावना . हुई थो ।
.. दोपहर को बड़ी पूजा पढाई गई। मंगल निमित्त १०० आयंबिल .. गाँव में हुये थे। रिकार्ड रूप उछामणो :
व्याख्यान के अन्दर पंचमांग श्री भगवती सूत्र एवं कुमारपाल चरित्र वांचने का निर्णय होने पर अषाढ वदी १३ रविवार को उछामणी दिन नही करने में आया।
१३ को व्याख्यान के समय में उछामणी की शुरूआत होते ही जनता के हृदय में आनन्द का सागर उमड़ पड़ा। यहां के इतिहास