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प्रवचनसार-कणिका अधिक शराव पीली हो एसा लगता है। इससे नशेमें चकचूर हो जानेसे गिर जानेसे मर गया है। लेकिन अव मेरा क्या होगा ?
राजकुमारकी लाश मेरे घरमें ही देखके राजा तो मेरा कोल्हू में डालके तेल निकालेगा।
लेकिन इसका सच्चा रास्ता सच्चा चौबटिया शेठके सिवाय दूसरा कोई नहीं निकाल सकता है।
एसा मानके उस दासीले कहा कि जल्दी से चौबटिया शेठको बुला ला । घर जाके दासीने सव हकीकत शेठसे कह दी।
शेठ तो राह देखके ही बैठे थे। शेठानी से कहा अरे ! सुन । मैं आकाशको थींगडा मारने की सुई लेने जाता हूं। एसा कहके उस दासोके साथ वेश्याके यहां आये । वेश्याने सव हकीकत से शेठको वाकिफ किया।
हैं! क्या राजकुमार मर गया ? शेठने कहा कि अव तो तेरा आही वना समझ ले । यह गुन्हा तो बड़े में बड़ा कहलाता है । इलसी सजा में तुझे फांसी ही मिलेगी।
___ यह सुनके वह वेश्या शेठ से करगरने लगी यानी प्रार्थना करने लगी। लेकिन शेठ ने हाथ नहीं धरने दिया। ... इस से रोती रोती शेठके पैरों में गिर गई और कहने लगी कि शेठ । कुछ भी कर के मुझे वचाओ। पैसा के सामने नहीं देखना । जितना खर्च होगा उतना में अभी हाल देने को तैयार हूं।' ... पैसा की बात सुनके तो शेठने कहा कि तो एक रास्ता है । जो पैसा खर्च करने को तैयार हो तो राजकुमार को मार डालने का जो गुन्हा तेरे सिर है वह मैं