SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - व्याख्यान-इक्कीसों २०५: रोक लेना चाहिए और काफला के नायकको अपनी पल्लो. का नायक तरीके नीम देना अर्थात् नियुक्त कर देना। पल्ली के जन-टोलामें से पांच पुरुपोंने आगे आकर के वंकचूल का परिचय पूछा। वंकचूलने कहा कि हम दूर देशके प्रवासी हैं। अच्छी जगह रहने की इच्छा है। प्रवास करते करते जो भूमि योग्य लगेगी वहाँ वास करेंगे। पल्लीवासियोंने कहा कि आप यहीं रहो एसी हमारी. विनती है। हम आपकी आज्ञा में रहेंगे। आप हमारे मालिक और हम आपकी प्रजा। आपका शुभ नाम बताने की कृपा करो। वकचूलने प्रसन्नता पूर्वक कहा कि लोग मुझे वंकल के नामले वुलाते हैं। यहाँ रहके तुम्हारा मालिक वननेके लिये मेरे साथीदारों के साथ विचार करने के बाद तुम्हें प्रत्युत्तर दूंगा। आखिर वंकचूल उनका नायक वना। पल्लीवासी उसकी सेवामें मग्न बन गए। - नदी किनारे पल्ली था। ढोर भी वहाँ अच्छे प्रमाण में थे। चारों तरफ पहाडी प्रदेश होनेसे स्थल निरापद था। लोग चोरी करके पेट भरते थे। फिर भी प्रजा भद्रिक थी। यह सब देख करके ही वंकचूल ने अपनी पत्नी कमला और वहन सुन्दरी के साथ चर्चा करके नक्की (निश्चित किया कि यहाँ रहने में नुकशान नहीं है। इसमें उनके चार साथीदारों की भी अनुमति मिल गई थी। सायंकाल की झालर बज उठी। यहाँ चामुंडादेवी के . मन्दिर में आरती उतारकर लोग पांथशालामें आये । घडी दो घडीमें तो पांथशाला का प्रांगण नरनारियों से भर ।
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy