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________________ . . मांडाणी, पाडीव, उड, सिरोही, जालोर 'तथा उदयपुरं आदि अनेक :: गाँवों के संघो की २०२३.-के चातुर्मास के लिये विनती चालू थी । . . सभी गाँवों के संघ आज हाजिर हुये थे । . . . . . . लाभा लाभ की दृष्टि से विचारकर के मांडाणी संघ की विनती को स्वीकार करते ही जय जयकार के शब्दों से वातावरण गूंज उठा था । दूसरे दो गाँवों के संघों को पर्युषण में साधु आवेंगे एसा कहा तव वे भी आनन्दित हो गये थे । अनेक गाँवों के संघ विनती करने को आये थे। उसके अनुसार उड की विनती को स्वीकार कर के चैतवदी २ सुवह यहां से विहार कर के उड पधारते ही सामैया स्वागत किया . 'गया था । . . . . . .. यहां के संघमें वर्षों से कुसंप (लड़ाई अनैक्य) था । उस कुसंप को दूर करने के लिये आ. म. ने अपील की। दोनो पक्ष के भाइयोंने उसी समय लिखित देके कवूल की । और कबूल किया कि आप श्री. ' जो फैसला देंगे वह हम्हें मंजूर होगा। .. . ... दोपहर को विजय मुहूर्त में संघ समक्ष पू. आ. म. श्री ने फैसला सुनाते ही दोनो पक्ष में अपूर्व आनन्द हो गया । आज से कुसंप दूर हो गया । उसकी उजवणी के निमित्त आचार्य श्री की निश्रामें यहां से अन्दोर तीर्थ का पगपाला यात्रा (पदयात्रा) संघ काढने का निर्णय लिया गया । चैत वदी ३ को १०० भाविकों का यात्रा संघ अन्दौर आया। ....... मांडाणी में उपाश्रय के. काम के लिये पू. मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी को वहां रोका था । उनके साथ १०० भाविकों का यात्रा-- - संघ. भी उको अन्दोर आया था । . . . . . . . शिवगंज, पालडी और जालोर से संघके बहुत से भाविक व्यक्ति वंदन करने आये थे । इस तरह आज पांच गाँव के संघ एकत्रित हुये थे । सवका स्वामिवात्सल्य हुआ था । दोपहर को बड़ी पूजा ठाठ, से पढाई थी । . . . . . . . . . .
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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