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________________ हिन्दी-रुपान्तर - में महावीर जयन्ती के साहित्य निर्माण के अनुसन्धानमे झांसीः से हजारो माइलों का प्रवास करता हुआ तथा सन्तों की वाणी श्रवण करता हुआ, पूज्य गुरुदेव परम तपस्वी कुशल प्रवचनकार आचार्य देव श्रीमद् विजय भुवनसूरीश्वरजी महाराजा साहेब, और उनके विनयी.. शिप्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी महाराज और उन के परिवार का दर्शन कर के अति प्रसन्नता का अनुभव करता हूं। मेने उनकी साहित्यक रचना “प्रवचन सार कर्णिका, गुजराती भाषा में देखी, वह पढकर के मुझे बहुत ही आत्मानंद हुआ। प्रवचनसार कर्णिका, एक व्यवहार और निश्चय के विषय को तलस्पर्शी ज्ञान देने वाला साहित्य होने के साथ साथ आत्मा और परमात्मा के तत्व को सरल पद्धति, छटादार शब्दावली, तथा रोचक कथाओं से भरपूर होने से वालक, वृद्ध, और आधुनिक युवक युवतियों को पवित्र आचार, और चारीत्र के संगठन में अत्यन्त उपयोगी है। और उच्च दरज्जे का ग्रन्थ है। पूज्य गुरुदेव श्री ने हिन्दी अनुवाद करने का कार्य मुझे सौंपा, और आशीर्वाद दिया। कइ दिनो की साधना के बाद अधाग परीश्रम कर के यह हिन्दि अनुवाद तैयार कर के अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव करता हूं। और विद्वानरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी महाराज. श्रीने पढकर योग्य रिति से तैयार कर दिया । उससे मैं अपने को भाग्यशाली मानता हूं। मुझे आशा है कि जनता को यह ग्रन्थ खूब खूब उपयोगो सिद्ध होगा। . भवदीय . . कवि वाबूलाल शास्त्री, महावीर जयन्त कथा के रचयिताः मु. पो. चारचौन, (झांसी)- .
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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